Tag: Alok Puranik
झूठ बोल के हा हा हा

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
दिल्ली में जल्दी ही नर्सरी स्कूल दाखिले की प्रक्रिया शुरू होने वाली है।
भगवान बचाये, भगवान से

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
पुरुषों के श्रृंगार प्रसाधन-इस विषय पर सेमिनार था।
ताकतवर को चाहिए आरक्षण

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
पटेल असमर्थता या कमजोरी के आधार पर नहीं, ताकत के आधार पर आरक्षण माँग रहे हैं, संदेश साफ है कि हमारे वोट चाहिए, तो हमारी बात सुननी ही होगी, माँग नाजायज या जायज है, यह मसला नहीं है। हम ताकतवर जाति हैं, तो बात सुननी होगी।
जात क्या पूछो साउथ की

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
राष्ट्र एक ही है, यूँ तो, हम सब एक ही हैं, बस यह बात कोई आल्टो कार वाला होंडा सिटी वाले से ना कह दे, होंडा सिटी वाला फौरन खंडन करके बता देगा कि ना हम एक नहीं हैं, कार के हिसाब से तुझमें और मुझमें वही फर्क है, जो बंगलादेश और इंडिया में है।
वो बात ना रही

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
अगर आपके मुँह से यह बात लगातार निकल रही हो तमाम चीजों को देखकर कि वो बात ना रही, तो समझिये कि आप बुजुर्ग हो रहे हैं या फिर आपके इर्द गिर्द लोगों के मुँह से यही निकल रहा हो कि वो बात नहीं रही, तो समझिये कि आपकी उठक बैठक बुजुर्गों में हो रही है।
गोविंदाजी, अनिल कपूरजी का पड़ोस

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
प्रख्यात फिल्म अभिनेता गोविंदाजी एक इश्तिहार में दिल्ली-एनसीआर में एक घर के बारे में बता रहे थे कि उस हाउसिंग परियोजना में घर लेना कितना फायदेमंद हैं। गोविंदाजी मुंबई की फिल्म इंडस्ट्री में ज्यादा काम नहीं कर रहे हैं, दिल्ली सैटल होने की सोच रहे हैं, ऐसा लगता है। गोविंदाजी का पड़ोस कैसा होगा, सोचने का विषय है। गोविंदाजी के पास टाइम बहुत है इन दिनों में, सोचता हूँ कि गोविंदाजी के पड़ोस में मकान ले लूँ, तो उनसे संवाद कैसे होगा-
पराये मर्द का लाइक

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार
शिष्टाचार अलग है और फेसबुक का शिष्टाचार अलग है।
सत्यमेव पिटते की कहानी

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार
सुपर-डुपर हिट पब्लिक स्कूल के पुराने छात्रों का गेट-टुगेटर चल रहा था। अचानक से एक बंदा खड़ा हुआ और चीखने लगा- मैं स्कूल पर मुकदमा करुँगा। मैं स्कूल के प्रबंधकों पर इस बात का मुकदमा चलाऊँगा कि मुझे सब गलत-सलत पढ़ाया, सिखाया गया। मैं स्कूल के खिलाफ कंजूमर फोरम जाऊँगा।
यू डोंट नो एनीथिंग ना

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार
डाँटे या डाँट खायें- फंडामेंटल सवाल ये ही है, जिन घरों में बच्चे हैं, वहाँ पेरेंट्स क्या करें।
छत पर भजन

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार
डिस्क्लेमर - प्राचीन अन्धेर नगरी की ये अति प्राचीन बिजली-कथाएँ अगर किसी को उत्तर-प्रदेश, बिहार और दिल्ली की लगें, तो इसकी जिम्मेदारी तमाम सरकारों की है।