Tag: Assembly Elections
सपा के लठबाजी प्रहसन के फलितार्थ
राजीव रंजन झा :
उनके 'नेताजी' (हमारे नेताजी तो एक ही हैं, आजादी से पहले वाले) भी पार्टी में हैं। चच्चा भी पार्टी में हैं। चच्चा चुनाव भी लड़ेंगे। सबकी सूचियों का भी मिलान हो रहा है, सबका मान रखा जा रहा है। पार्टी भी एक है। चुनाव चिह्न भी सलामत है। बस बीच में डब्लूडब्लूई स्टाइल में जबरदस्त जूतमपैजार की नौटंकी से जनता का दिल खूब बहलाया गया। इस नौटंकी के नतीजे -
उत्तर प्रदेश में दाँव पर प्रशांत किशोर की साख
संदीप त्रिपाठी :
उत्तर प्रदेश का आगामी विधानसभा चुनाव किसके लिए वाटरलू साबित होगा?, यह सवाल बड़ा मौजू है। सामान्य तौर पर देखा जाये तो सबसे बड़ा दाँव मायावती की बहुजन समाज पार्टी और नरेंद्र मोदी-अमित शाह की भारतीय जनता पार्टी का है। समाजवादी पार्टी सरकार में होने के कारण बचाव की मुद्रा में है तो कांग्रेस अभी तक कहीं लड़ाई में नहीं आयी है। लेकिन इस विधानसभा में इन चारों दलों से बड़ा दाँव चुनाव रणनीतिकार और प्रबंधक के रूप में ख्यात प्रशांत किशोर का लगा है।
बसपा नेताओं के पार्टी छोड़ने के सिलसिले की सियासत
संदीप त्रिपाठी :
उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव से 9 महीने पूर्व से ही इस बार सत्ता के लिए सबसे मजबूत दावेदार मानी जाने वाली मायावती की बहुजन समाज पार्टी में महत्वपूर्ण नेताओं के पार्टी छोड़ने का सिलसिला शुरू हो गया है। सबसे पहले विधानसभा में विपक्ष के नेता और बसपा के कद्दावर नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने पार्टी छोड़ी। फिर राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व मंत्री आर.के. चौधरी ने पार्टी छोड़ी।
विधानसभा चुनाव नतीजे कांग्रेस और लेफ्ट को करारा तमाचा
अभिरंजन कुमार, पत्रकार :
पाँच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के नतीजों से एक बात बिल्कुल साफ है कि देश की जनता अब कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों से पक चुकी है। उन्हें समझ में आ गया है कि ये दोनों एक ही थैले के चट्टे-बट्टे हैं और इनके बीच पति-पत्नी जैसा रिश्ता है। इनके दिन के झगड़े का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि रात में इन्हें साथ ही रहना है। इसलिए इन दोनों को जनता मजबूरी में अब सिर्फ वहीं चुन रही है, जहाँ उनके पास कोई तीसरा विकल्प नहीं है।
बिहार में कार्यकर्ताओँ के हाथ में बाजी
संदीप त्रिपाठी :
बिहार के विधानसभा चुनाव अक्टूबर-नवंबर में होंगे, ऐसे संकेत हैं। अभी कोई ऐलान नहीं हुआ है लेकिन चुनाव आयोग की तैयारियाँ ऐसी ही हैं। सियासी दल तो कब से इसी संकेत के इंतजार में बैठे थे। मुख्य चुनाव आयुक्त तो अगस्त के पहले हफ्ते में चुनावी तैयारियों का जायजा लेने बिहार का दौरा करेंगे लेकिन सियासी दल इससे पहले ही चुनाव प्रचार में जुट गये हैं।