Wednesday, November 20, 2024
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चंबा से वापसी वाया कमेरा लेक

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

तीन दिनों के चंबा प्रवास के बाद वापसी की यात्रा भी काफी मनोरम रही। हमारा होटल चंबा बस स्टैंड से पाँच किलोमीटर आगे परेल में था। इसलिए हमें बस पकड़ने के लिए बस स्टैंड जाने की कोई जरूरत नहीं थी। टाइम टेबल देख लिया था।

चंबा का शॉल, रुमाल और जूतियाँ

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

चंबा अपने शॉल, रुमाल और जूतियों के लिए जाना जाता है। अगर आप चंबा से कुछ खरीद कर ले जाना चाहते हैं तो इनमें से कुछ चुन सकते हैं। सबसे पहले बात चंबा के रुमाल की। चंबा का रुमाल वास्तव में कोई जेब में रखने वाला रुमाल नहीं होता। वास्तव में यह शानदार कढ़ाई की हुई वाल पेटिंग होती है।

झुमार का जम्मू नाग मंदिर – खजिनाग के बड़े भाई जम्मू नाग

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

हिमाचल और जम्मू कश्मीर में नाग मंदिरों की बड़ी श्रंखला है। पहाड़ों पर कहावत है 18 नारायण और 18 नाग। यानी बहुत सारे नारायण और बहुत सारे नाग। इसे 18 से इसलिए जोड़ते हैं क्योंकि यह एक पवित्र अंक है। हिमाचल प्रदेश में जगह-जगह नाग मंदिर हैं। नाग देवता की पूजा की परंपरा अति प्राचीन है। हो सकता है यह परंपरा उस काल से चली आ रही हो जब इंसान कबीलों में रहता था। इन नागों में बासुकि नाग सबसे बड़े माने जाते हैं। बासुकि नाग का एक मंदिर कांगड़ा में मैकलोड गंज के पास है।

झुमार – ताल से ताल मिला….

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

हिमाचल में चंबा के पास झुमार पहुँच जाना यूँ लगता है जैसे सपनों की दुनिया में आ गए हों। झुमार चंबा शहर से 14 किलोमीटर की दूरी पर है। रास्ता लगातार चढ़ाई वाला है। पर जब आप झुमार पहुँचते हैं तो मौसम काफी बदल चुका होता है। यह एक ग्रामीण इलाका है जहाँ दूर-दूर तक हरियाली, सेब, चीड़ और देवदार के पेड़ दिखायी देते हैं। झुमार का नैसर्गिक सौंदर्य फिल्मकार सुभाष घई को इतना भाया कि उन्होंने अपनी सुपर हिट फिल्म ताल की आधी शूटिंग झुमार में की। 1999 में आयी इस फिल्म में चंबा का सौंदर्य निखर कर आया है। झुमार में जो सेब का बाग है उसका नाम ही ताल गार्डेन रख दिया गया है। 

चंपावती के नाम पर पड़ा चंबा शहर का नाम

चंपावती के नाम पर पड़ा चंबा शहर का नाम

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

विख्यात कलापारखी और डच विद्वान डॉ. बोगल ने चम्बा को 'अचंभा' कहा था। उन्होंने यू हीं शहर को अचंभा नहीं कहा था। यहां के मंदिर कला संस्कृति में विविधता को देखते हुए उन्होंने अनायास ही यह उपाधि दे डाली थी। वैसे चंबा शहर का नाम चंबा के राजा के बेटी चंपावती के नाम पर पड़ा था।

चंबा का लक्ष्मीनारायण मंदिर समूह

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

हिमाचल प्रदेश का छोटा सा शहर चंबा मंदिरों का नगर है। वैसे चंबा के आसपास कुल 75 प्राचीन मंदिर हैं। छोटे से शहर में ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व के कई मंदिर हैं। इन मंदिरों में प्रमुख है लक्ष्मीनारायण मंदिर समूह। यह चंबा शहर का सबसे विशाल मंदिर समूह है।

चंबा की विरासत से रूबरू कराता भूरी सिंह संग्रहालय

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

किसी भी शहर के इतिहास को जानने के लिए वहाँ के संग्रहालय को जरूर देखना चाहिए। चंबा का भूरी सिंह संग्रहालय आपको शहर और आसपास के समृद्ध ऐतिहासिक विरासत से परिचित कराता है। यह एक छोटा सा संग्रहालय है पर इसे काफी बेहतर ढंग से प्रबंध करके रखा गया है।

जायका का स्वाद जो कभी नहीं भूलता…

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

दोपहर में हमलोग होटल रायल ड्रीम में चेक-इन कर चुके थे। अब चंबा शहर को देखने निकलना था। चंबा में चौगान पर हमारा इंतजार ममता शर्मा कर रही थीं। वही ममता जो हमें श्रीनगर में मिली थीं। दिल्ली के प्रगति मैदान में भी दो बार मिलीं। वे अपने गाँव जा रही हैं। उनका घर चंबा से 60 किलोमीटर आगे तीसा क्षेत्र में है। हमारे होटल से बस स्टैंड 5 किलोमीटर है। वहाँ तक जाने के लिए समय समय पर आने वाली बस ही विकल्प है। पर हमें भूख लग रही है। 

साडे चिड़ियों दा चंबा वे…बाबुल अस उड़ जाना..

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

हमारी बस धीरे-धीरे चंबा की ओर बढ़ रही थी। खजियार 1900 मीटर के करीब ऊँचाई पर है और चंबा 900 मीटर पर नीचे। इसलिए खजियार से चली बस धीरे-धीरे उतर रही थी। 

लोक आस्था के प्रतीक हैं खजिनाग

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

हिमाचल के धौलाधार पर्वत मालाओं के बीच कई नाग मंदिर हैं। इनमें खजियार का खजिनाग मंदिर प्रमुख है। खजिनाग मंदिर बारहवीं सदी का बना हुआ है। आठ सौ साल पुराना ये मंदिर अपने ऐतिहासिकता और पुरातात्विक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर का जीर्णोद्धार चंबा के राजा पृथ्वी सिंह की दाई बाटुल ने करवाया था। मंदिर के गर्भ गृह में खज्जी नाग की प्रस्तर प्रतिमा स्थापित है। मंदिर के प्रांगण में पंच पाँडवों की काष्ठ प्रतिमाएँ स्थापित की गयी हैं।

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