Tag: Chandrawati
सबसे खतरनाक, सपनों को मराना
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
सुबह नींद खुल गयी थी और कम्यूटर को ऑन करने जा ही रहा था कि दरवाजे पर घंटी बजी।
चंद्रवती मत बनें
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
पटना में था तो घर में काम करने वाली महिला को हम 'दाई' बुलाते थे। भोपाल गया तो वहाँ घर पर काम करने वाली को 'बाई' बुलाने लगे। वैसे तो दिल्ली मुझ जैसे जहीन इंसान के लिए रत्ती भर मुफीद जगह नहीं है, जहाँ बात-बात पर माँ-बहन को घसीट लिया जाता है, पर यहाँ घर में काम करने वाली महिला को 'माई' बुलाने का रिवाज है और यह रिवाज मुझे बहुत अच्छा लगता है।
चंद्रवती
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
मेरी पत्नी की छोटी बहन का नाम है आभा। ईश्वर की ओर से मुझे बतौर साली वो मिली है। है तो पूरी अंग्रेजी वाली और मुझे नहीं लगता कि उसने अपनी जिन्दगी में हिंदी की कोई किताब पूरी पढ़ी होगी। प्रेमचंद का नाम सुना है, पर मेरा दावा है कि उनकी एक भी कहानी उसने किताब में आँखें गड़ा कर नहीं पढ़ी होगी। दो चार कहानियाँ मेरे मुँह से सुन कर ही हिंदी साहित्य का उसका भरा-पूरा ज्ञान हम सबके सामने है।
मौन की महिमा
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
चंद्रवती हमारी जिन्दगी में जब आयी थी तब उसकी उम्र चालीस साल रही होगी। वो पिछले 25 वर्षों से हमारे साथ है।