Sunday, September 8, 2024
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चीफ जस्टिस साहब, चंद्र बाबू की आँखें ढूँढ़ रही हैं आपको!

अभिरंजन कुमार, पत्रकार :

बताइए तो एक शरीफ आदमी को इतने-इतने साल जेल में रखना कहाँ तक मुनासिब है? जिन लोगों ने भी शहाबुद्दीन साहब की जमानत और रिहाई का रास्ता प्रशस्त किया, वे तमाम लोग संयुक्त रूप से अगले भारत रत्न के हकदार हैं। इनमें मैं जमानत देने वाले उन जज साहब की भी पैरवी कर रहा हूँ, न्याय का माथा ऊँचा करने में जिनके उल्लेखनीय योगदान की कोई चर्चा ही नहीं कर रहा।

पीएम, प्रेसिडेंट की जगह महापुरुषों तस्वीर क्यों नहीं?

श्रीकांत प्रत्यूष, संपादक, प्रत्यूष नवबिहार :

सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी पैसे से मन्त्रियों और नेताओं की मार्केटिंग पर रोक लगा दी है।

यही सब होगा तो साख कहाँ से आयेगी?

क़मर वहीद नक़वी, वरिष्ठ पत्रकार :

बच्चे थे, तब से सुन रहे हैं! शायद तब से अब तक हजारों बार सुन-पढ़ चुके हैं! न्याय न सिर्फ होना चाहिए, बल्कि होते हुए दिखना भी चाहिए! तो बाकी बातें छोड़ दीजिए, बस जी कर रहा है कि यही एक सवाल माननीय पी. सदाशिवम जी से पूछूँ।

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