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बिहार चुनाव के उलझे समीकरण

संदीप त्रिपाठी :
बिहार विधानसभा चुनाव की आहट सुनायी देने लगी है। चुनाव आयोग भी यह संकेत दे रहा है कि सितंबर-अक्टूबर में चुनाव होंगे।
आपको मिर्ची लगी तो कोई क्या करे

पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :
कांग्रेस को वाकई 'बेचारा' ही कहा जाएगा.. जो अनाथ हो उसके लिए भारत में ऐसा ही संबोधन किया किया जाता है।
भूमि अधिग्रहण बिल पर तथ्यहीन विरोध

राजीव रंजन झा :
राहुल गाँधी को भारतीय राजनीति में पुनर्स्थापित करने के प्रयास के तहत कांग्रेस ने बीते रविवार को दिल्ली में किसानों की रैली की और उसमें राहुल खूब गरजे-बरसे।
ऊधमी छोकरा, षोडशी सुंदरी और गैंडा

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
लंबे समय से व्यंग्य लिखते हुए एक अनुभव आया कि फेसबुक, ट्विटर पर छपे व्यंग्य पर हासिल प्रतिक्रियाएँ त्वरित और कई बार असंतुलित होती हैं।
बिहार बीजेपी वाया गिरिराज सिंह@ फेयर-इन-लवली

सुशांत झा, पत्रकार :
गिरिराज ने जो टीवी फुटेज खाया है उसमें उनकी पार्टी और उनका दोनों का हित सधता है। पहचान(!) का संकट बिहार में उन्हें पहले भी नहीं था, अब तो वो पहचान घनीभूत हो गयी है।
काँग्रेस को चाहिए एक टच स्क्रीन!

कमर वहीद नकवी :
काँग्रेस बाट जोह रही है! एक नये कायाकल्प का इन्तजार है! एक फैसला रुका हुआ है! उस रुके हुए फैसले पर क्या फैसला होता है, इसका इन्तजार है!
दिल्ली चुनाव और दिल की बात

अभिरंजन कुमार :
दिल्ली में कोई जीते, कोई हारे, मुझे व्यक्तिगत न उसकी कोई ख़ुशी होगी, न कोई ग़म होगा, क्योंकि मुझे मैदान में मौजूद सभी पार्टियां एक ही जैसी लग रही हैं। अगर मैं दिल्ली में वोटर होता, तो लोकसभा चुनाव की तरह, इस विधानसभा चुनाव में भी "नोटा" ही दबाता।
पंजाबी दुर्ग में सेंध की आप को चुनौती

संदीप त्रिपाठी :
दिल्ली विधानसभा चुनाव में पंजाबी खत्री मतदाता बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने जा रहे हैं। आमतौर पर यह मतदाता भाजपा के समर्थक वर्ग के रूप में माना जाता रहा है। भाजपा ने अपने शुरुआती दिनों से इसी वोटबैंक के बूते दिल्ली में अपना आधार मजबूत किया। लेकिन दिसंबर, 2013 में आप की लहर का असर इस वोट बैंक पर भी पड़ा।
दिल्ली में दलित वोटर होंगे निर्णायक

संदीप त्रिपाठी : दिल्ली विधानसभा चुनाव में इस बार दलित वोट निर्णायक भूमिका में होंगे। पूरी दिल्ली में एक वर्ग के रूप में सबसे ज्यादा संख्या दलितों की ही है। दिल्ली के कुल 1,30,85,251 मतदाताओं में 17 फीसदी दलित हैं। कुल 70 विधानसभा क्षेत्रों में से 12 तो सुरक्षित हैं ही, आठ अन्य क्षेत्रों में भी दलित प्रभावी संख्या में हैं।
झारखंड : क्या है बढ़े मतदान प्रतिशत के मायने

संदीप त्रिपाठी, वरिष्ठ पत्रकार :
बिहार से अलग हुए राज्य झारखंड में नयी विधानसभा के लिए तीन चरण के मतदान हो चुके हैं। वर्ष 2009 के मुकाबले इस बार मतदान प्रतिशत 6-8% बढ़ा हुआ दिख रहा है। इसके मायने क्या हैं? इस बार पहले चरण में 61.92%, दूसरे चरण में 64.68% और तीसरे चरण में 60.89% मतदान हुआ। इसके मुकाबले पिछली बार औसतन 55% वोट पड़े थे।