Tag: Delhi Assembly Election
दिल्ली के नतीजे और सियासी वादों के निहितार्थ
राजीव रंजन झा :
दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की आंधी नजर आ रही है और इस आंधी के कारण देश भर में गलत मायने निकाले जाने का खतरा भी महसूस हो रहा है।
चुनावी परिदृश्य में छाये हैं सर्वेक्षण, लापता है जनता
संदीप त्रिपाठी :
दिल्ली विधानसभा चुनाव प्रचार एक बड़े मंच पर चल रहा राजनीतिक प्रहसन बन चुका है। इसमें मुख्य कलाकार राजनीतिक दलों के नेता और निजी न्यूज चैनल व मीडिया बने हुये हैं। अगर कोई परिदृश्य से गायब है तो वह जनता है।
दिल्ली चुनाव और दिल की बात
अभिरंजन कुमार :
दिल्ली में कोई जीते, कोई हारे, मुझे व्यक्तिगत न उसकी कोई ख़ुशी होगी, न कोई ग़म होगा, क्योंकि मुझे मैदान में मौजूद सभी पार्टियां एक ही जैसी लग रही हैं। अगर मैं दिल्ली में वोटर होता, तो लोकसभा चुनाव की तरह, इस विधानसभा चुनाव में भी "नोटा" ही दबाता।
मोदी मंत्रिमंडल और संघ के लिए भारी केजरीवाल!
राजेश रपरिया :
दिल्ली विधानसभा के चुनावी सर्वेक्षणों में खारिज अरविंद केजरीवाल ‘विजेता’ बन कर उभरे हैं। इन सर्वेक्षणों में केजरीवाल के पक्ष में मतदाताओं का रुझान बढ़ रहा है।
पंजाबी दुर्ग में सेंध की आप को चुनौती
संदीप त्रिपाठी :
दिल्ली विधानसभा चुनाव में पंजाबी खत्री मतदाता बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने जा रहे हैं। आमतौर पर यह मतदाता भाजपा के समर्थक वर्ग के रूप में माना जाता रहा है। भाजपा ने अपने शुरुआती दिनों से इसी वोटबैंक के बूते दिल्ली में अपना आधार मजबूत किया। लेकिन दिसंबर, 2013 में आप की लहर का असर इस वोट बैंक पर भी पड़ा।
दिल्ली के दिल में क्या है?
क़मर वहीद नक़वी, वरिष्ठ पत्रकार :
दिल्ली जीते, फिर यहाँ जीते, फिर वहाँ जीते, इधर जीते, उधर जीते, पूरब जीते, पश्चिम जीते, उत्तर जीते, लेकिन अबकी बार दिल्ली का उत्तर क्या होगा?
क्या हो पायेगा ‘आप’ का पुनर्जन्म?
क़मर वहीद नक़वी, वरिष्ठ पत्रकार :
तो क्या ‘आप’ का पुनर्जन्म हो सकता है? दिल्ली में चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। सबसे बड़ा सवाल यही है, ‘आप’ का क्या होगा? केजरीवाल या मोदी? दिल्ली किसका वरण करेगी?