Sunday, June 8, 2025
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इस पार या उस पार

डॉ वेद प्रताप वैदिक, राजनीतिक विश्लेषक :

जो काम केंद्र सरकार को करना चाहिए, उसे हमारा सर्वोच्च न्यायालय कर रहा है। उसने केंद्र सरकार को सवा महीने की मोहलत दी है और उससे कहा है कि इस अवधि में या तो दिल्ली की प्रादेशिक सरकार गठित कीजिए या विधानसभा भंग कीजिए।

समझ का हेर—फेर

रामबहादुर राय, राजनीतिक विश्लेषक और संपादक, यथावत :

डॉ. वेद प्रताप वैदिक आजकल गुरु के गाँव में रहते हैं। जो गुड़गाँव कहलाता है। चाहे नया हो या पुराना, हर गुड़गाँव वासी पर यह बात लागू हो या नहीं, पर वैदिक अपने गुरु आप हो गये हैं। अपने घर के एक कोने में वे मिले। उनके चेहरे पर तूफान में फँसे होने की कोई लकीर नहीं थी। उन्हें देखकर और सुनकर यह महसूस नहीं हआ कि यह व्यक्ति बेचैन है।

नेपाल का दिल विजय

डॉ वेद प्रताप वैदिक, राजनीतिक विश्लेषक : 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी पहली यात्रा में ही नेपाल का दिल विजय कर लिया। दिग्विजय नहीं, दिल्विजय! नेपालियों का दिल जीतने के लिए मोदी ने क्या-क्या नहीं कहा और क्या-क्या नहीं किया? उन्होंने नेपाल की सबसे ज्यादा दुखती रग पर हाथ धर दिया।

आज सोनिया और राहुल ही आशा हैं

डॉ वेद प्रताप वैदिक, राजनीतिक विश्लेषक : 

कांग्रेस जैसी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के नेताओं में अब थोड़ा-बहुत साहस पैदा हो गया है। वे मुँह खोलने लगे हैं। अपने मालिकों के सामने ‘जी-हुजूर’ बोलने के अलावा वे कुछ भी बोलने की हिम्मत नहीं करते थे। पंजाब के कांग्रेसी नेता जगमीत सिंह बरार ने काफी प्राणलेवा बयान दे दिया है।

नटवर सिंह के धमाके

डॉ वेद प्रताप वैदिक, राजनीतिक विश्लेषक : 

पूर्व विदेश मंत्री कुंवर नटवर सिंह की पुस्तक ‘वन लाइफ इज नॉट इनफ’ ने प्रकाशित होने के पहले ही धमाके करना शुरू कर दिया है। संजय बारु ने सोनिया-मनमोहन संबंधों पर जो प्रकाश डाला था, उससे कहीं ज्यादा तेज रोशनी अब नटवर सिंह की किताब डालेगी, क्योंकि नटवर सिंह अफसर नहीं थे, नेता थे, साथी थे।

रोजेदार अर्शद के मुँह में रोटी

डॉ वेद प्रताप वैदिक, राजनीतिक विश्लेषक : 

दिल्ली के महाराष्ट्र सदन में काम कर रहे एक कर्मचारी के साथ शिव सेना के सांसदों ने जिस तरह का बर्ताव किया है, वह निंदनीय है। उस कर्मचारी का नाम अर्शद जुबैर है। अर्शद जुबैर के मुँह में जबर्दस्ती रोटी ठूंसकर वह सांसद क्या बताना चाहता था?

कश्मीर पर मेरे कहे को पहले समझें तो सही!

डॉ वेद प्रताप वैदिक, राजनीतिक विश्लेषक :

पहले हाफिज सईद से मेरी मुलाकात पर संसद में हंगामा हुआ और फिर कश्मीर पर मेरे विचारों को लेकर। मुझे दुख है कि हमारे नेताओं ने इन दोनों मुद्दों पर ठंडे दिमाग से क्यों नहीं सोचा?

ट्रैक टू डिप्लोमेसी पर हाफिज का दाग

पुण्य प्रसून बाजपेयी, कार्यकारी संपादक, आजतक : 

प्रधानमंत्री मोदी के साथ बाबा रामदेव। और बाब रामदेव के साथ प्रताप वैदिक। यह दो तस्वीरे मोदी सरकार से वेद प्रताप वैदिक की कितनी निकटता दिखलाती है। सवाल उठ सकते हैं।

काबुल में कोहराम

डॉ वेद प्रताप वैदिक, राजनीतिक विश्लेषक :

पिछले 40 साल में सत्ता का हस्तांतरण काबुल में कभी लोकतांत्रिक ढंग से नहीं हुआ। कभी खूनी तख्ता-पलट, कभी विदेशी हस्तक्षेप, कभी आंतरिक विद्रोह, कभी अराजकता- यही अफगान राजनीति का नजारा रहा है लेकिन इस बार ऐसा लग रहा था कि वहाँ भारत की तरह शांतिपूर्ण चुनाव होंगे और सत्ता का व्यवस्थित परिवर्तन होगा।

साईं बाबा: अंधविश्वास के फायदे

डॉ वेद प्रताप वैदिक, राजनीतिक विश्लेषक :

शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानंद की इस राय को तर्कसम्मत ही माना जायेगा कि शिरडीवाले साईं बाबा को भगवान मानकर पूजना गलत है।

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