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आँखों को धोखा नहीं देना चाहिए
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
फातमागुल एक लड़की का नाम है। एक दिन शहर से कुछ लड़के मौज-मस्ती करने शहर से दूर निकलते हैं और एक गाँव से गुजरते हुए उनकी निगाह फातमागुल पर पड़ती है। फातमागुल सुंदर, सरल और किशोरावस्था से निकल रही बच्ची है। वो गाँव के ही एक लड़के से प्रेम करती है।
भाई की आँखों में चमक और बहन की आँखों में प्यार
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
माँ तीन दिनों के लिए पिताजी के साथ बाहर गई थी। मैं बिना माँ के एक दिन नहीं रह सकता था। माँ ने जाते हुए मुझसे दो साल बड़ी बहन को निर्देश दिया था कि संजू का ख्याल रखना। बहन चुपचाप खड़ी थी।
किसी और में खुद को देख पाना ही प्रेम है
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
आप में से बहुत से लोग इंग्लैंड गये होंगे। मैं भी गया हूँ।
पर आज कहानी न तो आपकी लिखी जा रही है, न मेरी। आज कहानी लिख रहा हूँ उस नौजवान की, जिसे अंग्रेजी नहीं आती थी पर उसे इंग्लैंड जाना था। उसका पासपोर्ट बन चुका था, वीजा लग चुका था। अब बस उड़ना भर बाकी था।
आदमी सबकुछ के बिना रह सकता है, पर प्यार के बिना नहीं
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
अब शिफ्ट होने का समय आ गया है। समझ लीजिए कि आधा शिफ्ट हो भी गए। मैं चीजें बहुत खरीदता हूँ, पर मुझे चीजों से मोह नहीं। जाहिर है मैं बहुत सी चीजें यहीं पुराने घर में छोड़ जाऊंगा। इनका क्या होगा, क्या करूंगा, यह सब बाद में तय होगा।
रिश्तों को जीने वाले आँखों से जीते हैं
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
मेरे एक फेसबुक परिजन ने मुझसे शिकायत की कि संजय सिन्हा आप बहुत झूठ बोलते हैं।