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नकली जिन्दगी जीते हुए असली लोग
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
आपको तो पता ही है कि मैं अभी पश्चिम बंगाल में तारापीठ मंदिर गया था। आपको ये भी पता है कि मैं वहाँ एक भाई-बहन से मिला था। आप ये भी जानते ही हैं कि उनकी कहानी सुनाने को मैं बेताब हूँ। पर आप ये नहीं जानते कि आख़िर उनकी कहानी मैं क्यों सुनाना चाहता हूँ?
एक मराठी शादी में….बारी बरसी खटन गया सी…
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
फरवरी 16 साल 2016 की सुबह हमारा पुणे जाना हुआ था शादी में शामिल होने के लिए। शादी किसकी। हमारी साली साहिबा की। वे रेडियोलॉजिस्ट हैं। पटना की हैं पर मुंबई में रहते हुए उन्होंने अपने लिए मराठी दूल्हा ढूँढा। तो शादी की सारी रश्में मराठी रीति रिवाज से होनी थी।
स्त्री और पुरुष
प्रेमचंद :
विपिन बाबू के लिए स्त्री ही संसार की सुन्दर वस्तु थी। वह कवि थे और उनकी कविता के लिए स्त्रियों के रूप और यौवन की प्रशंसा ही सबसे चित्तकर्षक विषय था। उनकी दृष्टि में स्त्री जगत् में व्याप्त कोमलता, माधुर्य और अलंकारों की सजीव प्रतिमा थी। जबान पर स्त्री का नाम आते ही उनकी आँखें जगमगा उठती थीं, कान खड़े हो जाते थे, मानो किसी रसिक ने गान की आवाज सुन ली हो।