Tag: Jammu Kashmir
शाह फैसल का यूँ डरना बहुत लाजिमी है
भुवन भास्कर, पत्रकार :
फेसबुक पर अपनी टिप्पणियों से पिछले दिनों में चर्चा में आये 2009 के आईएएस टॉपर शाह फैसल ने इंडियन एक्सप्रेस में एक लेख लिखा है।
कश्मीरी दोस्तों के नाम एक खुला खत
राजीव रंजन झा :
आपको बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। मानते हैं। आपके जो पड़ोसी थे ना, वे भी बहुत मुश्किल दौर से गुजरे हैं। मालूम है ना आपको? शायद अपनी ही आँखों से देखा भी हो, अगर उनके साथ होने वाले अपराधों में हिस्सेदार नहीं थे तब भी?
जरा नजाकत से सँभालें कश्मीर : कांग्रेस की सलाह
अभिषेक मनु सिंघवी, प्रवक्ता, कांग्रेस :
जहाँ तक हमारे संविधान की सीमाओं का सवाल है, और जहाँ तक भारत की अक्षुण्णता एवं सुरक्षा का सवाल है, उसमें किसी रूप से कोई समझौता नहीं हो सकता है।
घाटी दे दें? पर किसको दे दें?
प्रीत के. एस. बेदी, सामाजिक टिप्पणीकार :
पहले जरा नैतिक प्रश्न की बात कर लेते हैं। विभाजन के बारे में कुछ भी नैतिक नहीं था। दोनों ओर से लाखों लोग मारे गये और इस पूरी कवायद के बाद एक ऐसा देश बना जिसके दो हिस्से थे।
न हादसे के पहले, न हादसे के बाद!
क़मर वहीद नक़वी, वरिष्ठ पत्रकार :
टीवी की भाषा में इस लेख की टीआरपी शायद बहुत कम हो! क्योंकि असली मुद्दों में कोई रस नहीं होता! उन पर लोग लड़ते नहीं, न उन पर उन्हें लड़ाया जा सकता है!