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माँ चामुंडा के चरणों में बसा है चंबा शहर
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
चामुंडा मंदिर के बारे में कहा जाता है कि चंबा नगर बसने से पहले भी विद्यमान था। वर्तमान मंदिर मूल मंदिर के नष्ट होने के बाद बनाया गया है। सारा चंबा शहर माँ चामुंडा के चरणों में बसा हुआ है। मंदिर भित्ति चित्र और काष्ठकला का अदभुत उदाहरण है। चामुंडा मंदिर पैगोडा शैली में बना हुआ है। यह चंबा के बाकी मंदिरों से काफी अलग है।
झुमार का जम्मू नाग मंदिर – खजिनाग के बड़े भाई जम्मू नाग
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
हिमाचल और जम्मू कश्मीर में नाग मंदिरों की बड़ी श्रंखला है। पहाड़ों पर कहावत है 18 नारायण और 18 नाग। यानी बहुत सारे नारायण और बहुत सारे नाग। इसे 18 से इसलिए जोड़ते हैं क्योंकि यह एक पवित्र अंक है। हिमाचल प्रदेश में जगह-जगह नाग मंदिर हैं। नाग देवता की पूजा की परंपरा अति प्राचीन है। हो सकता है यह परंपरा उस काल से चली आ रही हो जब इंसान कबीलों में रहता था। इन नागों में बासुकि नाग सबसे बड़े माने जाते हैं। बासुकि नाग का एक मंदिर कांगड़ा में मैकलोड गंज के पास है।
झुमार – ताल से ताल मिला….
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
हिमाचल में चंबा के पास झुमार पहुँच जाना यूँ लगता है जैसे सपनों की दुनिया में आ गए हों। झुमार चंबा शहर से 14 किलोमीटर की दूरी पर है। रास्ता लगातार चढ़ाई वाला है। पर जब आप झुमार पहुँचते हैं तो मौसम काफी बदल चुका होता है। यह एक ग्रामीण इलाका है जहाँ दूर-दूर तक हरियाली, सेब, चीड़ और देवदार के पेड़ दिखायी देते हैं। झुमार का नैसर्गिक सौंदर्य फिल्मकार सुभाष घई को इतना भाया कि उन्होंने अपनी सुपर हिट फिल्म ताल की आधी शूटिंग झुमार में की। 1999 में आयी इस फिल्म में चंबा का सौंदर्य निखर कर आया है। झुमार में जो सेब का बाग है उसका नाम ही ताल गार्डेन रख दिया गया है।