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कलाम साहब को ‘सशर्त श्रद्धाँजलियाँ’
सुशांत झा, पत्रकार :
मिथिला की एक लोककथा में एक ब्राह्मण का जिक्र आता है जो हर बात में मीन-मेख निकालता था। एक दिन पार्वती ने शिव से कहा कि हे महादेव मैं उस ब्राह्मण को भोजन पर निमंत्रित करना चाहती हूँ, वो मेरी पाक कला में कोई दोष नहीं ढ़ूँढ़ पायेगा।
मृत्यु घर वापसी?
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
माँ को पता था कि वो अब इस संसार से चली जाएगी। लेकिन माँ विचलित नहीं थी। उसे मृत्यु का खौफ नहीं था। माँ मुझे समझाती थी कि मौत के बाद का संसार किसी को नहीं पता, लेकिन मैंने ऐसा महसूस किया है कि यह घर वापसी की तरह है।
मृत्यु घर वापसी?
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