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रिश्तों को दस्तक दीजिए
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
कोई 60 साल पुरानी बात है, एक लड़की की बहुत धूम-धाम से शादी हुई। शादी के बाद लड़की के पाँच बच्चे हुए। चार बेटियाँ, एक बेटा। पूरा परिवार खुश।
पहले बेटियों की शादी हुई, फिर बेटे की। कुछ दिनों बाद पति का निधन हो गया। बेटियाँ ससुराल में सेटल हो चुकी थीं, बेटा अमेरिका में सेटल हो गया था। रह गयी थी माँ।
अकेलेपन में रिश्तों के प्यार का रस डालिए
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
एक राजा था। वो अक्सर वेश बदल कर देर रात महल से निकलता और आम लोगों के बीच बैठ कर राजकाज की चर्चा छेड़ देता।
अपनी विचारधारा के बारे में दो टूक
अभिरंजन कुमार :
मैं जब सड़क पर पैदल चलता हूँ या साइकिल चलाता हूँ, तो बाएँ चलता हूँ, ताकि आती-जाती गाड़ियों से अपनी रक्षा कर सकूँ। जब कार चलाता हूँ, तो दाएँ चलता हूँ, ताकि आते-जाते पैदल या साइकिल यात्रियों को मेरी वजह से परेशानी न हो। जहाँ कहीं दाएँ या बाएँ मोड़ हो और मुझे सीधा जाना हो, तो गाड़ी बीच की लेन पर ले आता हूँ।
तन्हाई : टूटते रिश्तों की आहट
संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
अपने एक रिश्तेदार की तबीयत खराब होने पर कल मुझे अस्पताल जाना पड़ा।