Friday, November 22, 2024
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दुनिया की सबसे विशाल घड़ी – वृहद सम्राट यंत्र – जंतर मंतर जयपुर

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

जयपुर जंतर मंतर -  नाड़ी वलय यंत्र

वैसे तो देश में पाँच जंतर मंतर हैं। पर इनमें जयपुर का जंतर मंतर सबसे विशाल है। अपनी विशालता और विशेषताओं के कारण ही इसे दुनिया के विश्व दाय स्मारकों की सूची मे स्थान मिल सका है। सवाई जय सिंह ने देश में कुल पाँच शहरों में जंतर मंतर का निर्माण कराया।

विश्वकर्मा ने 24 घंटे में बनवाया- द्वारकाधीश का मंदिर

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार : 

भगवान कृष्ण अपने यादव परिवार के साथ मथुरा छोड़ कर सौराष्ट्र आ जाते हैं। वे अपने बसेरे के इंतजाम के लिए समुद्र के किनारे घूम रहे थे। तभी उन्हें यहाँ की भूमि से लगाव हो जाता है। फौरन विश्वकर्मा जी को बुलाया गया और अपनी राजधानी यहीं बनाने का इरादा जताया।

रिश्तों के साथ जीना

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक : 

दीदी की शादी थी। एक रात पहले घर के सामने सड़क पर टेंट लगाया जा रहा था। कुर्सियाँ बिछायी जा रही थीं। हल्की-हल्की सर्दी थी। पिताजी, चाचा, मामा, मौसा, फूफा, ताऊ जी सब वहीं डटे थे। किसी को कोई जिम्मेदारी नहीं दी गयी थी, सब के सब अपनी जिम्मेदारी समझ रहे थे।

आधार

प्रेमचंद :

सारे गाँव में मथुरा का-सा गठीला जवान न था। कोई बीस बरस की उमर थी। मसें भीग रही थीं। गउएँ चराता, दूध पीता, कसरत करता, कुश्ती लड़ता था और सारे दिन बाँसुरी बजाता हाट में विचरता था। ब्याह हो गया था, पर अभी कोई बाल-बच्चा न था। घर में कई हल की खेती थी, कई छोटे-बड़े भाई थे।

जीवन और मृत्यु का पाठ पढ़ाने वाले गुरु श्रीकृष्ण

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :

कभी नहीं,

इस आत्मा को, 

खण्ड-खण्ड कर सकते हैं 

हथियार। 

कभी नहीं,

इस आत्मा को 

जला सकती है

अग्नि।

कभी नहीं

भी 

इस आत्मा को

भिगो सकता है, 

जल।

कभी नहीं, 

सुखा सकती है, 

वायु।

***

स्वामिनी

प्रेमचंद :

शिवदास ने भंडारे की कुंजी अपनी बहू रामप्यारी के सामने फेंककर अपनी बूढ़ी आँखों में आँसू भरकर कहा- बहू, आज से गिरस्ती की देखभाल तुम्हारे ऊपर है। मेरा सुख भगवान से नहीं देखा गया, नहीं तो क्या जवान बेटे को यों छीन लेते! उसका काम करने वाला तो कोई चाहिए। एक हल तोड़ दूँ, तो गुजारा न होगा। मेरे ही कुकरम से भगवान का यह कोप आया है, और मैं ही अपने माथे पर उसे लूँगा। बिरजू का हल अब मैं ही संभालूँगा। अब घर की देख-रेख करने वाला, धरने-उठाने वाला तुम्हारे सिवा दूसरा कौन है? रोओ मत बेटा, भगवान की जो इच्छा थी, वह हुआ; और जो इच्छा होगी वह होगा। हमारा-तुम्हारा क्या बस है? मेरे जीते-जी तुम्हें कोई टेढ़ी आँख से देख भी न सकेगा। तुम किसी बात का सोच मत किया करो। बिरजू गया, तो अभी बैठा ही हुआ हूँ।

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