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मन के विश्वास को जिन्दा करें, आपका हर काम बनेगा
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
एक महिला ने मुझे बिलखते हुए फोन किया कि उसकी जिन्दगी में कुछ भी अच्छा नहीं हो रहा, क्या मैं उसे अपने चैनल पर भविष्य बताने वाले पंडित का नंबर दे सकता हूँ?
मन को साफ करो खुश रहोगे
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
मैं प्रेम पर लिखते हुए बहुत डरता हूँ। डर की वजह सिर्फ इतनी है कि जब मैं ऐसी पोस्ट लिखता हूँ तो अगले दिन मेरे पास ऐसे-ऐसे कई सवाल आ खड़े होते हैं, जिनके जवाब में मुझे फिर प्रेम पर एक पोस्ट लिखनी पड़ती है। एक पोस्ट और लिख कर मैं मुक्त होता हूँ और सोचता हूँ कि कल ये वाली कहानी लिखूँगा, वो वाली कहानी लिखूँगा, पर रात में जैसे ही अपने इनबॉक्स में झाँकता हूँ, मेरी तय की हुई सारी कहानियाँ उड़ जाती हैं और रह जाता है प्रेम।
सेक्स हौव्वा क्यों है?
संजय कुमार सिंह, संस्थापक, अनुवाद कम्युनिकेशन :
आज के समाज में जब लड़कियाँ नौकरी कर रही हैं, बड़े शहरों में परिवार से दूर अकेले रह रही हैं, किराए पर मकान लेने की समस्या है, शादी देर से हो रही है आदि कई कारण है जिनके आलोक में लिव-इन एक जरूरत है। लिव इन वालों के यौन संबंध के मामले में भी मेरी राय वही है - जरूरत है।
मन चंगा तो कठौती में गंगा
संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
एक बार एक व्यक्ति की शिकायत हुई कि वो बहुत गाली देता है।
शिकायत की सुनवाई के लिए उस व्यक्ति को बुलाया गया। उसे बताया गया कि तुम अपनी बातचीत में बहुत गाली देते हो। व्यक्ति भड़क गया। उसने बिगड़ते हुए कहा, "कौन साला, कुत्ते का बच्चा कहता है कि मैं बहुत गालियाँ देता हूँ। तुम एक भी ऐसा आदमी लेकर आओ, जो ये कह सके कि मैंने कभी किसी को गाली दी हो। ये मेरे खिलाफ सरासर झूठा आरोप है।"
दुखों से मुक्ति मन के कोने में मिलेगी
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
मेरे एक मित्र कल विदेश यात्रा पर निकल रहे हैं। कल उन्होंने फोन कर मुझे बताया कि वो कुछ दिनों के लिए बाहर घूम-फिर कर मन बहला आएँगे।
मन की खुशी
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
मुझे ठीक से याद है कि गुलबवा की कहानी किसने सुनायी थी। इस सच्ची कहानी सुनाते हुए उसने बताया था कि हर आदमी में दो आदमी रहते हैं। एक बाहर का आदमी और दूसरा भीतर का आदमी। भीतर का आदमी मन है, बाहर का आदमी तन है।
मन भरा तो मोक्ष मिला
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
पत्रकारिता में होने का कोई फायदा हो न हो, लेकिन एक फायदा जरूर है कि ऐसे कई लोगों से मिलने का मौका मिल जाता है, जिनसे आम तौर पर मुलाकात संभव नहीं।