Tag: Narrow Gauge Train
…और बड़ौदा तक पहुँची नैरो गेज रेल
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
एक जुलाई 1880 को नैरो गेज लाइन दभोई से चलकर गोया गेट ( बड़ौदा) तक पहुँची। हालाँकि इस लाइन के लिए सर्वे काफी पहले 1860 में ही कर लिया गया था।
धन्य किहिन विक्टोरिया जिन्ह चलाईस रेल
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
धन्य किहिन विक्टोरिया जिन्ह चलाईस रेल, मानो जादू किहिस दिखाइस खेल...
पर्यावरण बचाने का संदेश देती है बिलिमोरा वघई लाइन
विद्युत प्रकाश मौर्य :
अंबिका नदी के तट पर बसे नवसारी जिले के शहर बिलिमोरा से दिन भर में दो ही नैरोगेज रेलगाड़ियाँ वघई के लिए खुलती हैं, जो आपको गुजरात के एकमात्र हिल स्टेशन सापूतारा की ओर ले जाती हैं।
बैल खींचते थे रेलगाड़ी
विद्युत प्रकाश मौर्य :
नैरोगेज की बात करें तो इसका मतलब 2 फीट 6 ईंच ( 762 एमएम) पटरियों के बीच की चौड़ाई वाली रेलवे लाइन। हालाँकि कुछ नैरोगेज लाइनों की चौड़ाई दो फीट भी है। भारत में पहली नैरोगेज लाइन गुजरात में 1862 में दभोई से मियागाम के बीच बिछाई गई। ये 762 एमएम की नैरोगेज लाइन गायकवाड बड़ौदा स्टेट रेलवे ने बिछाई।
खत्म हुआ शकुंतला एक्सप्रेस का सफर
विद्युत प्रकाश मौर्य :
जुलाई 2014 में देश के मानचित्र से एक नैरो गेज ट्रेन विदा हो गई। महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में यवतमाल से मुर्तुजापुर ( अकोला जिला) के बीच 112 किलोमीटर का नैरो गेज रेल नेटवर्क हुआ करता था।