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आतंक के एटीएम

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
संयुक्त राष्ट्र संघ में पाक पीएम नवाज शरीफ ने बताया-जी हम तो आतंक के विरोधी हैं। हम तो आतंक के खिलाफ कार्रवाई करते हैं आगे भी करेंगे।
स्कूल गये ‘अच्छे बच्चे’ फिर लौटकर नहीं आये!

मनीषा पांडे, फीचर संपादक, इंडिया टुडे :
सब बच्चे-बच्चे थे। बिलकुल बच्चों जैसे थे। सबके छोटे-छोटे झगड़े थे, छोटी-छोटी लड़ाइयां। किसी की रोज की तरह मां से झक-झक हुयी होगी। "उठो, स्कूल का टाइम हो गया" और उसे गर्म रजाई से बाहर निकलना दुनिया की सबसे बड़ी सजा लग रही होगी।
कश्मीर पर प्रचारक का हठ या नेहरू से आगे मोदी की नीति?

पुण्य प्रसून बाजपेयी, कार्यकारी संपादक, आजतक :
वक्त बदल चुका है। वाजपेयी के दौर में 22 जनवरी 2004 को दिल्ली के नॉर्थब्लाक तक हुर्रियत नेता पहुँचे थे और डिप्टी पीएम लालकृष्ण आडवाणी से मुलाकात की थी। मनमोहन सिंह के दौर में हुर्रियत नेताओं को पाकिस्तान जाने का वीजा दिया गया और अमन सेतु से उरी के रास्ते मुजफ्फराबाद के लिए अलगाववादी निकल पड़े थे।
भारत-पाक-अफगान त्रिकोण?

डॉ वेद प्रताप वैदिक, राजनीतिक विश्लेषक :
पाकिस्तान के जितने भी केंद्रीय मंत्रियों, नेताओं, नौकरशाहों, फौजियों और पत्रकारों से रोज मेरी भेंट होती है, उनसे मैं एक सवाल जरूर पूछता हूँ। अफगानिस्तान से छह माह बाद जब अमेरिका की वापसी होगी तो क्या होगा?
काबुल पर कब्जा कैसे करेंगे?

डॉ वेद प्रताप वैदिक, राजनीतिक विश्लेषक :
पिछले दस-बारह दिनों में पाकिस्तान में काफी हंगामा होता रहा, लेकिन उसके साथ-साथ मेरी बातचीत कई केंद्रीय मंत्रियों, सांसदों, पार्टी-नेताओं, राजदूतों और फौजी जनरलों से होती रही। पत्रकारों से तो लगातार संवाद बना ही रहता है।
यह युद्ध पठानों और पंजाबियों का नहीं

डॉ वेद प्रताप वैदिक, राजनीतिक विश्लेषक :
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री मियां नवाज शरीफ ने संसद में एक अत्यंत प्रभावशाली और ऐतिहासिक भाषण दिया। उन्होंने कहा कि अब आतंकवादियों का पूरा सफाया किए बिना हम चैन नहीं लेंगे। पाकिस्तान को अब हम आतंकवादियों की शरण-स्थली नहीं बनने देंगे।
भारत-पाक जुगलबंदी

डॉ वेद प्रताप वैदिक, राजनीतिक विश्लेषक :
नरेंद्र मोदी का शपथ-समारोह जितना सफल और सार्थक रहा, अब से पहले किसी भी प्रधानमंत्री का नहीं रहा। मंत्रिमंडल के निर्माण पर तो मैं कल लिख ही चुका हूँ लेकिन मुझे डर था कि दक्षेस राष्ट्रों के नेताओं के आगमन पर कोई अप्रिय घटना न हो जाये। इसीलिए जैसे ही मियां नवाज शरीफ दिल्ली पहुँचे, टीवी चैनलों ने कहना शुरू कर दिया कि वे शपथ-समारोह के पहले ही पत्रकार-परिषद करने की अनुमति चाहते हैं।