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बिहार में ‘हवा’ उसकी नहीं, जिसकी जीत होने वाली है!

अभिरंजन कुमार :
बिहार चुनाव एक पहेली की तरह बन गया है। अगड़े, पिछड़े, दलित, महादलित-कई जातियों/समूहों के लोगों से मेरी बात हुई। उनमें से ज्यादातर ने कहा कि उन्होंने बदलाव के लिए वोट दिया, लेकिन साथ ही वे इस आशंका से मायूस भी थे कि बदलाव की संभावना काफी कम है।
वायदों की बौछार, पर धन का पता नहीं

राजेश रपरिया :
आज मतदान के प्रथम चरण के साथ बिहार का भाग्य इलेक्ट्रॉनिक मतपेटिकाओं में बंद होना शुरू हो चुका है। नतीजे एनडीए के पक्ष में आयें या नीतीश-लालू-कांग्रेस गठबंधन के पक्ष में, पर इस बार बिहार चुनाव निष्कृष्टता और मर्यादाहीनता की सभी सीमाएँ लांघ चुका है। सिद्धांतहीनता अपने चरम पर है। चुनावों में इतना वैमनस्य कभी देखने में नहीं आया, जो इस बार बिहार में देखने को मिल रहा है। मतदान नजदीक आने के साथ सारे मुद्दे गुल हो गये हैं और शुद्ध रूप से जातियों के गणित पर यह चुनाव आ कर टिक गया है।
मुस्लिम बहुल सीटें करेंगी लालू-नीतीश के भाग्य का फैसला

श्रीकांत प्रत्यूष, संपादक, प्रत्यूष नवबिहार :
आमतौर पर यहीं माना जा रहा है कि इसबार महागठबंधन के पक्ष में और एनडीए के विरोध में अल्पसंख्यकों की गोलबंदी होगी। बिहार में 47 सीटें ऐसी हैं
मांझी से मजबूत होगा एनडीए

अभिरंजन कुमार :
जीतनराम मांझी के शामिल होने का फायदा एनडीए को निश्चित रूप से होगा और नीतीश कुमार को नेता घोषित करने का नुकसान निश्चित रूप से कांग्रेस-आरजेडी-जेडीयू-एनसीपी-कम्युनिस्ट गठबंधन को होगा।
वर्ष 2015 और देश की लकीरें!

क़मर वाहिद नक़वी, वरिष्ठ पत्रकार :
तो आपका समय शुरू होता है अब! और ‘हॉट सीट’ पर हैं, नरेन्द्र मोदी, राहुल गाँधी, नीतीश कुमार और अरविन्द केजरीवाल! 2015 कोई मामूली साल नहीं है, जो हर साल की तरह बस आयेगा और चला जायेगा! यह लकीरों के बनने-बनाने और मिटने-मिटाने का साल है! इस साल को तय करना है कि देश किन लकीरों पर चलेगा?
उच्च शिक्षा को धंधे में बदलकर कौन सा पाठ पढ़ाये सरकार?

पुण्य प्रसून बाजपेयी, कार्यकारी संपादक, आजतक :
विश्व बाजार में भारत की उच्च शिक्षा है कमाई का जरिया
भारत की उच्च शिक्षा को दुनिया के खुले बाजार में लाने का पहला बड़ा प्रयास वाजपेयी की अगुवायी वाली एनडीए सरकार ने किया था।
भ्रष्टाचार के विरुद्ध पहला कदम

डॉ वेद प्रताप वैदिक, राजनीतिक विश्लेषक :
नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने काम-काज की शुरुआत में जिस मुस्तैदी और मौलिकता का परिचय दिया है, उससे बहुत आशाएँ बंध रही हैं। दक्षेस-राष्ट्रों का सम्मेलन, काले धन के लिए जाँच दल, रेल दुर्धटना पर रेल मंत्री को दौड़ाना, हेरात के हमले पर सीधी बात करना आदि वे कदम हैं, जिन्हें देखकर ऐसा लगता है कि मोदी सरकार कई बड़े चमत्कारी काम कर सकती हैं।
मोदी से सहयोगी दलों की आस

अखिलेश शर्मा, वरिष्ठ संपादक (राजनीतिक), एनडीटीवी :
बीजेपी को लोक सभा में अपने बूते पर बहुमत है। जबकि सहयोगियों के साथ उसकी संख्या 336 है। बीजेपी के अलावा एनडीए की ऐसी ग्यारह पार्टियाँ और हैं जिन्होंने लोक सभा में सीटें जीती हैं। इनमें शिवसेना और तेलुगु देशम पार्टी की संख्या दहाई में है।
एनडीए रोकेगा भ्रष्टाचार और सरकारी घाटा

पीयूष गोयल, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष और राज्य सभा सांसद, भाजपा :
यूपीए सरकार महँगाई दर घटाने के लिए ब्याज दरें बढ़ाती है, जबकि हमारा कहना है कि महँगाई दर और ब्याज दर दोनों में कमी आ सकती है अगर आपूर्ति के पक्ष पर ध्यान दिया जाये। वे पहले भ्रष्टाचार करते हैं, उसके बाद ढिंढोरा पीटते हैं कि हम उसको रोकेंगे।
स्पैम मेल में कांग्रेस का सवाल : क्या हमने देश डुबा दिया?

देश मंथन डेस्क :
कांग्रेस की डिजिटल टीम ने चुनाव प्रचार के लिए अब ईमेल का सहारा लिया है, हालाँकि बड़ी संख्या में लोगों को यह ईमेल उनके स्पैम फोल्डर में दिख रहा है।



अभिरंजन कुमार :
राजेश रपरिया :
श्रीकांत प्रत्यूष, संपादक, प्रत्यूष नवबिहार :
क़मर वाहिद नक़वी, वरिष्ठ पत्रकार :





