Friday, November 22, 2024
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कौन माने, कौन नहीं माने

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार  :

वैधानिक चेतावनी-यह व्यंग्य नहीं है, हालांकि यह व्यंग्य पर ही है।
मैं अपने से ज्यादा युवा व्यंग्यकार से बात कर रहा था, बात यूँ चली-
जी वो तो मुझे व्यंग्यकार नहीं मानते।

दीनदयाल उपाध्याय होने का मतलब

संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय : 

राजनीति में विचारों के लिए सिकुड़ती जगह के बीच पं. दीनदयाल उपाध्याय का नाम एक ज्योतिपुंज की तरह सामने आता है। अब जबकि उनकी विचारों की सरकार पूर्ण बहुमत से दिल्ली की सत्ता में स्थान पा चुकी है, तब यह जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर दीनदयाल उपाध्याय की विचारयात्रा में ऐसा क्या है जो उन्हें उनके विरोधियों के बीच भी आदर का पात्र बनाता है।

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