Sunday, June 8, 2025
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शादी की बंजर भूमि पर प्यार के फूल खिलाओ

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :

एक पिता और पुत्र ट्रेन में सफर कर रहे थे। पिता पुत्र से कहता नंबर तीन और दोनों जोर-जोर से हँसने लगते। दोनों की हँसी थमती और फिर पुत्र कहता नंबर सात। पुत्र के मुँह से नंबर सात निकला नहीं कि दोनों पेट पकड़ कर हँसने लगते। 

मृत्यु अटल है, जीवन सकल है

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक : 

आज आपको एक न में ले चलता हूँ। 

अपने जीवन में मुझे एक बार ओशो से मिलने का मौका मिला।

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