Friday, November 22, 2024
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‘पिच’ नहीं, समग्र प्रदर्शन से तोड़ी द. अफ्रीकियों की दुर्जेयता

पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :

टेस्ट क्रिकेट की लोकप्रियता पर चाहे जितना भी ग्रहण लगा हो, चाहे दर्शक संख्या में कितनी भी कमी आ रही हो। परंतु यह निर्विवाद स्वीकार करना ही होगा कि किसी भी टीम और खिलाड़ी की श्रेष्ठता का पैमाना यानी उसकी परख खेल के इस दीर्घावधि संस्करण में प्रदर्शन ही है, जिसमें केवल स्किल, तकनीकी पांडित्य ही नहीं, इसमें आपके धैर्य, मनोदशा और एकाग्रता का तेजाबी इम्तहान भी होता है। 

आज राह दिखी है

पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :

माँ गंगा की इस स्वच्छता को बरकरार रखने के लिए आईए हम संकल्प लें, सौगंध खाएँ। आज राह दिखी है। वाकई ये अद्भुत दृश्य इसलिए ही नहीं हैं कि काशी में दो प्रधान मंत्रियों ने एक साथ माँ गंगा का पूजन किया और अत्यंत मनोयोग से पौने घंटे तक चली महा आरती का आनंद उठाया, बल्कि इसलिए भी कि माँ गंगा दशकों बाद इतनी निर्मल और स्वच्छ नजर आयीं। कहीं एक तिनका तक भी नहीं दिखा। 

गोली और खेल एक साथ कैसे?

पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :

पाकिस्तान के साथ समग्र वार्ता की लंबे अर्से बाद शुरुआत को एक अच्छी पहल जरूर कहा जा सकता है। मगर जो मुद्दे हैं क्या उनको लेकर पाकिस्तान संजीदा साबित होगा और क्या उसकी फौज, जो असली ताकत है, पहली बार जन्मपत्री को ठोकर मार अपनी सरकार के साथ सुर में सुर मिलाएगी?

श्रीमती गाँधी की हत्या और क्रिकेट सिरीज रद्द

पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :

आज 31 अक्तूबर है, जो भारतीयों को मिश्रित अनुभूति देता है। एक ओर हैं देश को एकता के सूत्र पिरोने वाले लौह पुरुष सरदार पटेल, जिनका कि आज जन्मदिन है और जिसे यादगार बना दिया मोदी सरकार ने देश में एकता दौड़ के आयोजन से तो दूसरी ओर आज ही इंदिरा गाँधी का शहादत दिवस भी है।

साहित्यकारों, कलाकारों और इतिहासकारों का कुचक्र

पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :

इस देश को जिन्होंने नोचा, खसोटा, लूटा और राज किया, वर्तमान से इस कदर बौखला उठे हैं कि उन्हें समझ नहीं आ रहा कि वे क्या करें? इसमें शामिल हैं हवाला कारोबारी, तस्कर, हथियारों के दलाल, वे जिन्हें आजादी बाद रेवड़ी की मानिंद बांटे गये थे कोटा-परमिट और जिनके बल पर काला बाजारी से रातों रात धन कुबेर बन गये वे और उनके वंशज। इनके अलावा वे तथाकथित प्रगतिशील- वामपंथी जिन्होंने समाजवादी विचारधारा के नाम पर आधी सदी से भी ज्यादा समय तक मलाई खायी। वे समाज में आसानी से बुद्धिजीवी का खुद पर ठप्पा लगाने में सफल हो गये। इसी विचारधारा के लोगों में पनपे साहित्यकारों, कलाकारों, कला प्रेमियों और इतिहासकारों की गणेश परिक्रमा ने उन्हें महिमा मंडित किया।

हार-हार-हार और हार..! आखिर कब थमेगा सिलसिला

पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :

वानखड़े 'भूतो न भविष्यति' बल्लेबाजी का बना गवाह। सिक्के की उछाल में मिली मात और भोथरी गेंदबाजी ने सिरीज का फाइनल का किस तरह से नशा उखाड़ दिया, यह बताने की जरूरत नहीं और यह भी नहीं कि हर किसी का समय होता है मिस्टर धोनी। बाजुओं में जो ताकत आपके थी वह जाती रही और कितने गरीब नजर आये आप बल्ले से, यह भी दर्शकों ने देखा। हार, हार और हार यही बदा है देश के भाग्य में शायद। जो सिलसिला आस्ट्रेलिया से शुरू हुआ, वह आज तक थमा नहीं। बांग्लादेश तक ने पानी पिला दिया था तो यह महाबली द. अफ्रीका है। 

‘विराट’ पारी से अंतिम मुकाबला फाइनल हो गया

पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :

वाकई बहुत अच्छा टास जीता धोनी ने और इसी के साथ सिरीज 2-2 की बराबरी पर आकर जीवंत हो उठी अगले रविवार को मुंबई में फाइनल लड़ंत के लिए। खेल का एक घंटे पहले आरंभ होना, ओस की लगभग नगण्य भूमिका, शाम को दूधिया प्रकाश के बीच सीम, स्विंग, स्पिन और दोहरी उछाल, टारगेट का पीछा करने वाली टीम के लिए कहीं से भी मुफीद कंडीशन नहीं कही जा सकती थी।

खेलों में उग्रवाद की आग पाकिस्तान ने ही लगायी थी !

पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :

पाकिस्तान क्रिकेट के सदर शहरयार साहब छाती पीट-पीट कर रोते हुए घर लौट रहे हैं कि उग्रवादियों के आगे बीसीसीआई झुक गयी और उसने श्रीनिवासन के कार्यकाल के दौरान सिरीज खेलने का जो करार किया था, उसे तोड़ दिया।

अर्से तक याद आते रहोगे वीरू सर

पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :

दिल उदास है। कुछ दिन पहले ही जहीर ने क्रिकेट को अलविदा कहा था तो क्रिकेट में मनोरंजन का दूसरा नाम वीरेंद्र सहवाग ने भी आज बाय-बाय टाटा करते हुए देश के खेल प्रेमियों को दशहरे की पूर्व संध्या पर उदास और मायूस कर दिया। वीरू ने मार्क टेलर के आस्ट्रेलिया के खिलाफ बीती सदी के अंत में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पहला पग रखते हुए ही वह धमाल मचाया कि फिर मुड़ कर भी नहीं देखा। 

टीम इंडिया को आप जैसे गुरु की सख्त जरूरत है जाक

पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :

आया है सो जाएगा, राजा रंक फकीर। यही जीवन का शाश्वत सत्य है। खेल दुनिया भी उसी का एक अंग है। कल की सी बात लगती है जब मैंने मजबूत कद काठी के एक युवक को अपने डेब्यू मुकाबले में एक सौ पचास किलोमीटर की गति से गेंदबाजी करते देखा और तभी विश्वास हो गया था कि यह लंबी रेस का घोड़ा है, बड़ी दूर तक जाएगा और वर्षों हम इसके बारे में पढ़ते, सुनते और देखते रहेंगे।

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