Friday, November 22, 2024
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जैसी सोच वैसा जीवन

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :

आपने दो बैलों की कथा पढ़ी होगी। आपने दो शहरों की कहानी भी पढ़ी होगी। 

आज मैं आपको दो चिट्ठियों की कहानी सुनाता हूँ। मैंने आपसे कहा था न कि पिछले दिनों घर से फालतू कागजों की सफाई में मेरी यादों का लंबा पुलिंदा खुल गया। उन्हीं यादों में से मैं आज आपके लिए ख़ास तौर पर लेकर आया हूँ, दो चिट्ठियों की कहानी। 

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