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‘आप’ की झाड़ू, ‘आप’ पर!
क़मर वहीद नक़वी, पत्रकार :
आम आदमी पार्टी का बनना देश की राजनीति में एक अलग घटना थी। वह दूसरी पार्टियों की तरह नहीं बनी थी। बल्कि वह मौजूदा तमाम पार्टियों के बरअक्स एक अकेली और इकलौती पार्टी थी, जो इन तमाम पार्टियों के तौर-तरीकों के बिलकुल खिलाफ, बिलकुल उलट होने का दावा कर रही थी। उसका दावा था कि वह ईमानदारी और स्वच्छ राजनीतिक आचरण की मिसाल पेश करेगी। इसलिए 'आप' के प्रयोग को जनता बड़ी उत्सुकता देख रही थी कि क्या वाकई 'आप' राजनीति में आदर्शों की एक ऐसी लकीर खींच पायेगी कि सारी पार्टियों को मजबूर हो कर उसी लकीर पर चलना पड़े।
दुख दर्द पर फोकस करें डिग्री पर नहीं
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
मेरा नाम संजय सिन्हा है।
मेरे पिताजी का नाम सुशील कुमार सिन्हा था।
मेरे दादाजी का नाम कृष्ण गोविंद नारायण था।
इतने गुस्से में क्यों हैं लोग?
संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय :
यह कितना निर्मम समय है कि लोग इतने गुस्से से भरे हुए हैं। दिल्ली में डॉ. पंकज नारंग की जिस तरह पीट-पीट कर हत्या कर दी गयी, वह बात बताती है कि हम कैसा समाज बना रहे हैं। साधारण से वाद-विवाद का ऐसा रूप धारण कर लेना चिंता में डालता है।
उफ्फ टोपी, हाय टोपी
पुराणिक, व्यंग्यकार :
अभी कांग्रेस का स्थापना दिवस मनाया गया, कई नेता गाँधी टोपी में थे, बहुत अश्लील लग रहे थे। पर उनसे ज्यादा वह टोपी अश्लील लग रही थी।
मोदी-शाह की रणनीतिक विफलता ने विपक्ष को किया एकजुट
संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय :
बिहार चुनाव के परिणामों से सारे देश की राजनीति में एक उबाल आ गया है। इस परिणाम ने जहाँ पस्तहाल विपक्ष को संजीवनी दी है वहीं भाजपा को आत्मचिंतन और आत्मावलोकन का एक अवसर बहुत जल्दी उपलब्ध करा दिया है।
लिखिए जोर से लिखिए, किसने रोका है भाई!
संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय :
देश में बढ़ती तथाकथित सांप्रदायिकता से संतप्त बुद्धिजीवियों और लेखकों द्वारा साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने का सिलसिला वास्तव में प्रभावित करने वाला है। यह कितना सुंदर है कि एक लेखक अपने समाज के प्रति कितना संवेदनशील है, कि वह यहाँ घट रही घटनाओं से उद्वेलित होकर अपने सम्मान लौटा रहा है। कुछ ने तो चेक भी वापस किये हैं। सामान्य घटनाओं पर यह संवेदनशीलता और उद्वेलन सच में भावविह्वल करने वाला है।