Thursday, November 21, 2024
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समस्या

प्रेमचंद : 

मेरे दफ्तर में चार चपरासी हैं। उनमें एक का नाम गरीब है। वह बहुत ही सीधा, बड़ा आज्ञाकारी, अपने काम में चौकस रहने वाला, घुड़कियाँ खाकर चुप रह जानेवाला यथा नाम तथा गुण वाला मनुष्य है। मुझे इस दफ्तर में साल-भर होते हैं, मगर मैंने उसे एक दिन के लिए भी गैरहाजिर नहीं पाया।

रोटी, कपड़ा और मकान

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :

हमारे शहर में फिल्म लगी थी रोटी, कपड़ा और मकान। रिक्शा पर लाऊडस्पीकर लगा कर एक आदमी आता और माइक पर अनाउंस करता, आपके शहर के रूपम सिनेमा हॉल में लगातार पच्चीस हफ्तों से धूम मचा रहा है, ‘रोटी, कपड़ा और मकान’। वो इतना बोलता और फिर लाउडस्पीकर पर गाना बजता— “तेरी दो टकिए की नौकरी, मेरा लाखों का सावन जाए…।”

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