Tag: Prabhas Joshi
सलाम सचिन
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
शायद पच्चीस साल पुरानी बात है, हमारे अखबार के संपादक प्रभाष जोशी क्रिकेट का मैच देखने न्यूजीलैंड गये हुए थे। वहाँ से मैच का आँखों देखा हाल वो रोज जनसत्ता में छाप रहे थे। तब मैं जनसत्ता में उप संपादक के पद पर काम करने लगा था।
उनसे मिलें जो निराश हैं
संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
मैं जिन दिनों जनसत्ता में काम करता था, मैंने वहाँ काम करने वाले बड़े-बड़े लोगों को प्रधान संपादक प्रभाष जोशी के पाँव छूते देखा था। शुरू में मैं बहुत हैरान होता था कि दफ्तर में पाँव छूने का ये कैसा रिवाज है। लेकिन जल्दी ही मैं समझने लगा कि लोगों की निगाह में प्रभाष जोशी का कद इतना बड़ा है कि लोग उनके पाँव छू कर उनसे आशीर्वाद लेना चाहते हैं। हालाँकि तब मैं कभी ऐसा नहीं कर पाया।
यादें – 12
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
अगर मैं जेपी आंदोलन, इमरजंसी, इन्दिरा गाँधी, दीदी, विमला दीदी को इतनी शिद्दत से लगातार याद करता हूँ, तो मुझे याद करना होगा 1984 की उस तारीख को जिस दिन इन्दिरा गाँधी की हत्या हुई थी। मुझे याद करना होगा उस 'जनसत्ता' अखबार को जहां मेरी किस्मत के फूल खिलने जा रहे थे। और मुझे याद करना होगा प्रभाष जोशी को, जिनसे 'जनसत्ता' में रहते हुए चाहे संपादक और उप संपादक के पद वाली जितनी दूरी रही हो, लेकिन अखबार छूटते ही हमने दिल खोल कर बातें कीं।