Sunday, September 14, 2025
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Tag: Qamar Waheed Naqvi

जिधर देखो, सब क्लीन ही क्लीन है!

कमर वहीद नकवी, वरिष्ठ पत्रकार: 

न से नेता! जिसे कुछ नहीं होता! इसलिए राममूर्ति वर्मा को भी कुछ नहीं होगा! वह जानते हैं कि नेताओं का अकसर कुछ नहीं बिगड़ता। बाल भी बाँका नहीं होता!

जागिए, मैगी ने झिंझोड़ कर जगाया है!

कमर वहीद नकवी , वरिष्ठ पत्रकार :

मैगी रे मैगी, तेरी गत ऐसी! क्या कहें? सौ साल से नेस्ले कम्पनी देश में कारोबार कर रही थी! दुनिया की जानी-मानी कम्पनी है।

इस गरमी पर एक छोटा-सा सवाल!

कमर वहीद नकवी, वरिष्ठ पत्रकार:

लोग गरमी से मर रहे हैं। अब तक अठारह सौ से ज्यादा लोग मर चुके हैं। खबरें छप रही हैं। लोग मर रहे हैं। सरकारें मुआवजे बाँट रही हैं।

ऐप्प मोदी 2.2 को क्या अपडेट चाहिए?

कमर वहीद नकवी , वरिष्ठ पत्रकार 

मोदी 2.1 पर तो खूब बहस हो चुकी। बहस अभी और भी होगी। सरकार का पहला साल कैसा बीता, मोदी सरकार अपनी कहेगी, विरोधी अपनी कहेंगे, समीक्षक-विश्लेषक अपनी कहेंगे, बाल की खाल निकलेगी। लेकिन क्या उससे काम की कोई बात निकलेगी? मोदी सरकार के पहले साल पर यानी मोदी 2.1 पर हमें जो कहना था, हम पहले ही कह चुके। अब आगे बढ़ते हैं।

सौ दिन, एक साल, दो सरकारें!

कमर वहीद नकवी , वरिष्ठ पत्रकार 

दिल्ली दिलचस्प संयोग देख रही है। एक सरकार के सौ दिन, दूसरी के एक साल! दिलचस्प यह कि दोनों ही सरकारें अलग-अलग राजनीतिक सुनामियाँ लेकर आयीं। बदलाव की सुनामी! जनता ने दो बिलकुल अनोखे प्रयोग किये, दो बिलकुल अलग-अलग दाँव खेले।

इस ‘ड्रमेटिक्स’ से आगे देखिए!

कमर वहीद नकवी , वरिष्ठ पत्रकार 

देश में बहुत कुछ हो रहा है। मोदी सरकार के एक साल पूरे होने वाले हैं। बड़ी तीखी बहस हो रही है इस पर।

उलटे चाँद के देश में!

कमर वहीद नकवी , वरिष्ठ पत्रकार :

जिस देश में चाँद उलटा निकल सकता है, हम उस देश के वासी हैं! बात अफवाह की नहीं है, जो अभी आये भूकम्प के बाद फैली और तेजी से फैली, लेकिन उतनी ही तेजी से खारिज भी हो गयी। बात अफ़वाह के बहुत आगे की है! और बात मामूली नहीं, बहुत गहरी है।

खेती करके वह पाप कर रहे हैं क्या?

कमर वहीद नकवी , वरिष्ठ पत्रकार 

किसान मर रहे हैं। खबरें छप रही हैं। आज यहाँ से, कल वहाँ से, परसों कहीं और से। खबरें लगातार आ रही हैं। आती जा रही हैं। किसान आत्महत्याएँ कर रहे हैं। इसमें क्या नयी बात है? किसान तो बीस साल से आत्महत्याएँ कर रहे हैं।

अब नहीं सोचेंगे, तो कब सोचेंगे?

कमर वहीद नकवी , वरिष्ठ पत्रकार :

हाशिमपुरा और भी हैं ! 1948 से लेकर 2015 तक। कुछ मालूम, कुछ नामालूम ! जगहें अलग-अलग हो सकती हैं। वजहें अलग-अलग हो सकती हैं। घटनाएँ अलग-अलग हो सकती हैं, लेकिन चरित्र लगभग एक जैसा।

इतिहास बोल रहा है, आप सुनेंगे क्या?

कमर वहीद नकवी, वरिष्ठ पत्रकार:

कहीं का इतिहास कहीं और का भविष्य बाँचे! बात बिलकुल बेतुकी लगती है न! इतिहास कहीं और घटित हुआ हो या हो रहा हो और भविष्य कहीं और का दिख रहा हो! लेकिन बात बेतुकी है नहीं! समय कभी-कभार ऐसे दुर्लभ संयोग भी प्रस्तुत करता है!

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