Tag: Qamar Waheed Naqvi
क्या-क्या सिखा सकती है एक झाड़ू?
क़मर वहीद नक़वी, वरिष्ठ पत्रकार :
तो झाड़ू अब ‘लेटेस्ट’ फैशन है! बड़े-बड़े लोग एक अदना-सी झाड़ू के लिए ललक-लपक रहे हैं! फोटो छप रही है! धड़ाधड़! यहाँ-वहाँ हर जगह झाड़ू चलती दिखती रही है!
बिल्ली के भाग्य से छींका नहीं टूटेगा?
क़मर वहीद नक़वी, वरिष्ठ पत्रकार :
नमो अब अमेरिका यात्रा पर हैं. अब वहाँ नमो-नमो हो रहा है! नमो वाक़ई बड़े कुशल खिलाड़ी हैं. ख़बरें बनाना जानते हैं. ख़बरों में रहना जानते हैं. मौक़ा कोई हो, बात कोई हो, यह ‘नमो-ट्रिक’ देश पहली बार देख रहा है कि राग नमो-नमो कैसे हमेशा चलता रहे!
न हादसे के पहले, न हादसे के बाद!
क़मर वहीद नक़वी, वरिष्ठ पत्रकार :
टीवी की भाषा में इस लेख की टीआरपी शायद बहुत कम हो! क्योंकि असली मुद्दों में कोई रस नहीं होता! उन पर लोग लड़ते नहीं, न उन पर उन्हें लड़ाया जा सकता है!
यही सब होगा तो साख कहाँ से आयेगी?
क़मर वहीद नक़वी, वरिष्ठ पत्रकार :
बच्चे थे, तब से सुन रहे हैं! शायद तब से अब तक हजारों बार सुन-पढ़ चुके हैं! न्याय न सिर्फ होना चाहिए, बल्कि होते हुए दिखना भी चाहिए! तो बाकी बातें छोड़ दीजिए, बस जी कर रहा है कि यही एक सवाल माननीय पी. सदाशिवम जी से पूछूँ।
देखिए कि क्या दिखता है?
क़मर वहीद नक़वी, वरिष्ठ पत्रकार :
दिल्ली से बगदाद कितनी दूर है? ठीक-ठीक 3159 किलोमीटर। बीच में ईरान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान। किसने सोचा था कि आग वहाँ लगेगी तो आँच तीन देशों को पार करते हुए अपने यहाँ तक आ जायेगी। वैसे तो इराक़ पिछले दस-बारह सालों से युद्ध से झुलस रहा है, लेकिन पहले कभी आज जैसी तपिश महसूस नहीं की गयी।