Tag: Qamar Wheed Naqvi
मोदी के कौशल की पहली परीक्षा!

कमर वहीद नकवी , वरिष्ठ पत्रकार
दिल्ली में नरेन्द्र मोदी के कौशल की पहली परीक्षा अब है! उनके राजनीतिक जीवन की शायद अब तक की सबसे बड़ी चुनौती उनके सामने है! और शायद पहली भी! इस मामले में मोदी वाकई भाग्यशाली रहे हैं। मुझे नहीं याद पड़ता कि इससे पहले कभी उनके सामने कोई चुनौती आयी भी हो!
कामन सिविल कोड से क्यों डरें?

कमर वहीद नकवी , वरिष्ठ पत्रकार
हिन्दुओं ने तो ज्यादातर सामाजिक सुधारों को स्वीकारना शुरू कर दिया, लेकिन मुसलमानों ने पर्सनल लॉ को 'धर्म की रक्षा' का सवाल बना कर अपनी अलग पहचान और अस्तित्व का मुद्दा बना लिया और वह उसमें किसी भी बदलाव का विरोध करते रहे। 1985 का शाहबानो मामला इसकी चरम परिणति थी, जिसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने अगर कट्टरपंथी मुसलमानों के सामने घुटने न टेके होते तो आज शायद देश में आम मुसलमानों की स्थिति पहले से कहीं बेहतर होती!
तो कहाँ है वह संगच्छध्वम् ?

कमर वहीद नकवी, वरिष्ठ पत्रकार :
चौदह के पन्द्रह अगस्त और पन्द्रह के पन्द्रह अगस्त में क्या फर्क है? चौदह में 'सहमति' का शंखनाद था, पन्द्रह में टकराव की अड़! याद कीजिए चौदह में लाल किले से प्रधान मन्त्री नरेन्द्र मोदी का पहला भाषण। संगच्छध्वम्! मोदी देश को बता रहे थे कि हम बहुमत के बल पर नहीं बल्कि सहमति के मजबूत धरातल पर आगे बढ़ना चाहते हैं। उस साल एक दिन पहले ही नयी सरकार के पहले संसद सत्र का सफल समापन हुआ था। मोदी इसका यश सिर्फ सरकार को ही नहीं, पूरे विपक्ष दे रहे थे! संगच्छध्वम्!