Thursday, December 4, 2025
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जिन्दगी न मिलेगी दोबारा

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :

आसमान मेरे लिए हमेशा कहानियों का सबसे बड़ा संसार रहा है। 

मैं जब-जब आसमान में उड़ता हूँ, मेरी आँखों के आगे कहानियाँ तैरने लगती हैं। अब कायदे से मुझे अपने अमेरिका प्रवास की कहानी ही आज लिखनी थी, लेकिन कल सुबह मैं दिल्ली से पटना के लिए उड़ गया। अब अगले दो दिनों तक मुझे पटना में ही रहना है। इसके बाद दिल्ली वापस आऊँगा और उड़ जाऊँगा सिंगापुर की ओर। 

बच्चों को मिले विश्वास और भरोसा

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :

मैंने बताया था न कि घर की सफाई में मेरे हाथ बहुत सी पुरानी यादें लगीं। 

यादों के उसी पिटारे से मैं आपके लिए कल अपनी काठमांडू यात्रा की कहानी ले कर आया था। मैंने आपको कल ही बताया था कि यादों के उन्हीं पुलिंदे में मेरे अमेरिका प्रवास के दौरान लिखे कुछ लेख हाथ लगे। इनमें से कुछ तो मैंने अमेरिका से दिल्ली फैक्स के जरिए Sanjaya Kumar Singh को भेजे थे और वो यहाँ जनसत्ता में छपे भी थे। बात अमेरिका के न्यूयार्क शहर में ट्वीन टावर पर हुए हमले के दिन की है। 

रिश्ते मन के भाव से सुधरते हैं

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक : 

कल रात मुझे एक लड़की ने फोन किया और रोने लगी। मैं बहुत देर तक समझ नहीं पाया कि आखिर माजरा क्या है। मैं चुपचाप उस तरफ से रोने की आवाज सुनता रहा, फिर जब वो जरा शांत हुई, तो मैंने पूछा कि आप कौन हैं और क्यों रो रही हैं?

तलवार के साथ बुद्धि पर भी भरोसा हो

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :

इन दिनों व्हाट्सएप पर एक संदेश खूब चक्कर लगा रहा है-

“उन्होंने कंधार में प्लेन हाईजैक किया, हमने ‘जमीन’ मूवी में उसे छुड़ा लिया।

खुद की इज्जत करने वाले दूसरों की भी इज्जत करते हैं

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक : 

कई लोगों को अपनी तारीफ अच्छी नहीं लगती। कई लोग अपनी तारीफ सुन कर थोड़ा झेंप जाते हैं, लेकिन मुझे अपनी तारीफ पसंद है। मैं बहुत से अच्छे काम इसलिए करता हूँ ताकि मुझे तारीफ मिले। 

खुद को पहचानो

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :

मेरी पड़ोस की एक दीदी की शादी बहुत कम उम्र में हो गयी थी। 

काम के प्रति लगाव रखें

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक : 

एक भावी नेता ने मुझसे संपर्क किया और कहा कि फलाँ पार्टी के अध्यक्ष से तो आपके अच्छे संबंध हैं, आप उनसे मेरी सिफारिश कीजिए। उनसे कहिए कि अगर उन्हें टिकट मिला तो वो हर हाल में चुनाव जीत जाएँगे।

रिश्तों को समय दीजिए

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :

मेरे दफ्तर के एक साथी को कुछ महीने पहले पिता बनने का सौभाग्य मिला है।

मछली जाल में फँसी

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :

कई कहानियाँ मुझ तक चल कर भी आती हैं। आज भी एक कहानी मेरे पास चल कर आयी है। मुझे कहानी इतनी पसंद आयी कि मैं पिता-पुत्र की जो कहानी लिखने बैठा था, उसे फिलहाल रोक कर शानदार शेरवानी और मछली के जाल वाली कहानी सुनाने को तड़प उठा हूँ।

दिल्ली वालों का अभी कुछ होना बाकी है

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :

बहुत साल पहले जब मैं स्कूल में पढ़ता था, जय प्रकाश नारायण ने बिहार में स्कूल बंद करा दिये थे। 

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