Tag: Sanjay Sinha
सनकियों के फैसले

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
मेरा मन है कि आज मैं मोहब्बत की कहानी लिखूँ। मैं लिखूँ कि नफरत की चाहे जितनी वजहें होती हों, पर मोहब्बत की कोई बहुत बड़ी वजह नहीं होती। मैं आपको उस लड़की की कहानी सुनाना चाहता हूँ, जो एक लड़के से मिली और प्यार कर बैठी। सच यही तो है। आप अपने मन में झाँकिए, सोचिए, याद कीजिए अपनी मोहब्बत की कहानी को। आप पाएँगे कि सचमुच आप भी किसी से मिले और उससे प्यार कर बैठे। बहुत सोचा, फिर लगा कि नहीं, आज मोहब्बत की कहानी नहीं लिखूंगा। आज मैं उस आदमी की कहानी लिखूँगा, जिसने एक बार बादशाह हुमायूँ की जान बचायी थी।
तुगलकी फरमान, जनता परेशान

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
आदरणीय अरविंद केजरीवाल जी,
नया साल मंगलमय हो।
चाहत में शिद्दत हो, तो कुछ भी मिलेगा

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
मेरी मुलाकात बहुत से ऐसे लोगों से होती है, जिन्होंने जो चाहा पाया। बहुत से ऐसे लोगों से भी होती है, जो कुछ पाना चाहते तो थे, लेकिन नहीं पा सके।
जाने-अनजाने किसी का अपमान न करें

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
मेरे पास एक खबर आयी थी कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्रियों - लालू यादव और उनकी पत्नी राबड़ी देवी के सुपुत्र तेज प्रताप जी पटना की सड़कों पर घोड़े पर चल रहे हैं। मैंने पूरा वीडियो देखा। उसमें तेज प्रताप जी ने, जो अब खुद बिहार में मंत्री हैं, ने कहा कि लोग अगर घोड़े पर चलना शुरू कर दें, तो ट्रैफिक जाम और प्रदूषण की समस्या से मुक्ति मिल जाएगी। लोगों के लिए कहीं आना-जाना भी आसान होगा।
जहाँ उम्मीद, वहीं जिन्दगी, जहाँ प्यार, वहीं संसार

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
आपने ये पढ़ा होगा कि ‘जहाँ उम्मीद है, वहीं जिन्दगी है’। आपने सुना होगा कि ‘जहाँ प्यार होता है, वहीं संसार होता है’।
मैं ‘माँ’ बनूँगा

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
आज मेरा एक बहुत बड़ा सपना पूरा होने जा रहा है। अब से कुछ देर बाद मुझे 'माँ' बनने का सौभाग्य मिलेगा।
पौधे को भी जीने के लिए रिश्ते चाहिए

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
अब से कुछ देर बाद मैं जबलपुर में पहुँच जाऊँगा।
जब तपस्या (बेटा) शाप बन जाए

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
कल मैंने वादा किया था कि उस बच्चे की कहानी जरूर सुनाऊँगा, जिसकी कहानी मैंने चौथी कक्षा में पढ़ी थी।
आत्मा से रिश्ता

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
एक पिता ने मुझसे गुहार लगायी है कि मैं उनके बेटे को समझाऊँ। बेटा पिता की बात नहीं सुनता। वो पिता के साथ अभद्र व्यवहार करता है। मैंने सोच लिया था कि मैं चौथी कक्षा में पढ़ी वो कहानी उसे जरूर सुनाऊँगा, जिसे पढ़ते हुए मैं बहुत गहरी सोच में डूब जाया करता था।
अपनी बचाऊँ कि ये सोचूँ कि सरकार क्या कर रही है

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
आज अपनी बात कहने के लिए मैं एक चुटकुले का सहारा ले रहा हूँ, लेकिन मैं जो लिखने जा रहा हूँ वो चुटकुला नहीं। वो बेहद संजीदा विषय है, इसलिए मेरा आपसे अनुरोध है कि आपमें से अगर किसी को चुटकुले पर आपत्ति हो, तो मुझे माफ कर दें।
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संजय सिन्हा, संपादक, आज तक : 





