Tag: Sanjay Sinha
ऊँचाई सिर्फ अहसास है

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
आप जानते हैं कि पृथ्वी पर सबसे ऊँची कोई जगह है तो वो है माउंट एवरेस्ट।
उनसे मिलें जो निराश हैं

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
मैं जिन दिनों जनसत्ता में काम करता था, मैंने वहाँ काम करने वाले बड़े-बड़े लोगों को प्रधान संपादक प्रभाष जोशी के पाँव छूते देखा था। शुरू में मैं बहुत हैरान होता था कि दफ्तर में पाँव छूने का ये कैसा रिवाज है। लेकिन जल्दी ही मैं समझने लगा कि लोगों की निगाह में प्रभाष जोशी का कद इतना बड़ा है कि लोग उनके पाँव छू कर उनसे आशीर्वाद लेना चाहते हैं। हालाँकि तब मैं कभी ऐसा नहीं कर पाया।
आदमी भावनाओं से संचालित होता है, कारणों से नहीं

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
एक छोटा बच्चा हर सुबह आसमान में उगने वाले सूरज को देख कर अपने पिता से पूछा करता था कि ये रोशनी का गोला क्या है? पिता उसे बताते कि यह सूरज है और यह पृथ्वी के चक्कर लगाता हुआ हर सुबह तुम्हारे पास आता है और शाम को चला जाता है। शाम को यही काम चंद्रमा करता है। वो भी पृथ्वी के चक्कर लगाता हुआ तुम्हारे पास आता है और फिर सुबह चला जाता है।
आइए खूबियाँ ढूँढते हैं

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
मैंने कल लिखा था न कि मेरी मुलाकात दिल्ली वाले लड़के से होगी।
आँखों से सितारा बनते देखा

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
आज मैं दिल्ली के उस लड़के से फिर मिलूँगा जो लाखों-करोड़ों लोगों के लिए एक काल्पनिक संसार बन गया है। मैं उससे जब भी मिलता हूँ, यह सोच कर मन ही मन हैरान होता हूँ कि अगर वो वो नहीं होता तो क्या होता?
त्याग करती हैं महिलाएँ

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
भोपाल के हमीदिया कॉलेज में इतिहास वाले प्रोफेसर इंग्लैंड का इतिहास पढ़ाते हुए जब कभी महारानी एलिजाबेथ प्रथम के विषय में हमें बताते तो, उनकी दिलचस्पी ये बात बार-बार बताने में रहती कि एलिजाबेथ ने दुनिया के तमाम राजाओं को इस बात का झाँसा दे रखा था कि वो उन्हीं से विवाह करेंगी, पर महारानी ने कभी किसी से विवाह नहीं किया। यानी वो आजीवन अविवाहित रहीं।
जहाँ उम्मीद, वहीं जिन्दगी

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
यह तो आप जानते ही हैं कि सबसे ज्यादा खुशी और सबसे ज्यादा दुख, दोनों अपने ही देते हैं।
‘पात्र’ को बड़ा करें

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
मुझे एकदम ठीक से याद है कि पड़ोस वाली बेबी दीदी शादी के बाद घर लौट आयी थीं।
लव और लगाव

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
मेरी एक परिचित ने मुझसे अपनी कहानी साझा की है। उन्होंने मुझे बताया कि पिछले दिनों वो किसी के संपर्क में आईं और वो उन्हें अच्छा लगने लगा। यहाँ तक तो सब ठीक था। पर वो उन्हें इतना अच्छा लगने लगा कि वो उससे प्यार कर बैठीं।
दुखों से मुक्ति मन के कोने में मिलेगी

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
मेरे एक मित्र कल विदेश यात्रा पर निकल रहे हैं। कल उन्होंने फोन कर मुझे बताया कि वो कुछ दिनों के लिए बाहर घूम-फिर कर मन बहला आएँगे।



संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :





