Tag: Sanjay Sinha
मुफ्त कुछ नहीं मिलता

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
मेरे एक परिचित की बिटिया की शादी थी।
तन्हाई : टूटते रिश्तों की आहट

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
अपने एक रिश्तेदार की तबीयत खराब होने पर कल मुझे अस्पताल जाना पड़ा।
कोट मुक्ति

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
प्रेम की बात करते-करते मैं निकल पड़ा हूँ धर्म यात्रा पर। एकदम अचानक, एकदम अप्रायोजित।
मर्दानगी

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
आज जो कहानी आपको सुनाने जा रहा हूँ, वो पता नहीं क्यों मुझे लग रहा है कि मैंने पहले भी आपको सुनायी है।
पेशों की गरिमा बनाए रखनी चाहिए

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
मेरी एक जानने वाली ने बहुत पहले तय कर लिया था कि उनकी बेटी हुई तो उसे वो डॉक्टर बनाएँगी, बेटा हुआ तो इंजीनियर।
आज की शिक्षा व्यवस्था

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
जब मैं छोटा था, माँ मेरे लिए पैंट और कमीज हाथ वाली सिलाई मशीन से घर पर खुद सिला करती थी। वो हाथ और उँगलियों से ये नाप लिया करती थी कि मेरे लिए कितने कपड़ों की जरूरत है और उसकी सिलाई एकदम शानदार हुआ करती थी।
परिवार और रिश्ते

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
मेरी साली के बेटे से स्कूल टीचर ने उसके परिवार की तस्वीर बनाने के लिए कहा।
अज्ञानता की पट्टी उतारने वाले ही जीतते हैं

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
क्या आपने कभी ये जानने की कोशिश कि महाभारत काल में गांधारी की शादी जब हस्तीनापुर के नेत्रहीन राजा धृतराष्ट्र से हो गई, तो गांधार के लोगों ने उस पर क्या प्रतिक्रिया जतायी? क्या आपने कभी ये जानने की कोशिश की कि जब कोई स्त्री अपने विवाह को अपनी किस्मत मान कर अपनी आँखों पर पट्टी बांध लेती है, तो उससे जुड़े लोगों पर क्या गुजरती है?
‘बेब’ कहीं का

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
'बेब' - ये नाम सुअर के एक बच्चे का है।



संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :






