Tag: Sanjay Sinha
दिल की सुनो, बदलाव भी जरूरी

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
प्रिय संजय सिन्हा,
पिछले तीन दिनों से तुम जयप्रकाश नरायण, इमरजंसी, इन्दिरा गाँधी, अच्छे दिन वगैरह-वगैरह लिख रहे हो उसका फल तुमने भोग लिया है। कहाँ तुम एक-एक पोस्ट पर हजार-हजार लाइक बटोरा करते थे, और जबसे तुमने जरा राजनीतिक यादों की झलकियों को दिखाने की कोशिश की, तुम्हें तुम्हारी औकात पता चल गयी।
सरकार के वादे और टूटती उम्मीदें

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
भोपाल में मेरे इतिहास की प्रोफेसर मिसेज मित्तल की आँखें ये पढ़ाते हुए चौड़ी हो जाती थीं कि फासिज्म ‘प्रचार’ पर बहुत जोर देता है।
प्यार कैसे पनपे

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
ये बात ठीक से याद नहीं कि सबसे पहले किसने मुझे ये समझाया था कि हिन्दुस्तान में तीन ही नौकरी ऐसी हैं, जिनमें असली दबदबा है।
पहली नौकरी पीएम की, दूसरी सीएम की और तीसरी डीएम की। हमारे साथी कहा करते थे कि पीएम के पास देश चलाने का पावर होता है, सीएम के पास राज्य चलाने का और डीएम के पास जिला चलाने का। अगर राजाओं वाली जिन्दगी जीनी हो तो आईएएस बन जाओ और जीवन भर मौज करो।
खादी का जलवा

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
हिन्दुस्तान में एक राज्य है मध्य प्रदेश। उसी से टूट कर एक और राज्य बना है छत्तीसगढ़।
ये वक्त गुजर जाएगा

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
रोज सुबह जगना और फिर लिखना मेरे नियम में शुमार हो चुका है।
अमर प्रेम

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
बचपन में मैं कुम्हार बनना चाहता था।
परिस्थिति से डिगे नहीं, लक्ष्य पर रखें निगाहें

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
कई लोगों ने कहा कि मुझे आज रणबीर कपूर पर कुछ लिखना चाहिए। रणबीर कपूर के विषय में इसलिए क्योंकि कल वो हमारे दफ्तर आये थे और उनसे मेरी मुलाकात हुई थी।
लक्ष्मी जी के आगे सब नतमस्तक

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
माँ की सुनाई सभी कहानियाँ मैं एक-एक कर आपके साथ साझा कर रहा हूँ।
मुझे बहुत बार आश्चर्य भी होता है कि माँ को कैसे इतनी कहानियाँ याद रहती थीं।
अपने कर्मों का भोजन हम स्वयँ बनाते हैं

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
चार दोस्त थे।
अब अगर चार की जगह तीन दोस्त भी होते तो वही होता, जो चार के होने पर हुआ।
खैर, संख्या की कोई अहमियत नहीं। न ही ये बहस का विषय हो सकता है।
“देंगे वही, जो पायेंगे इस जिन्दगी से हम!”

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
कई लोगों ने अनुरोध किया है कि मुझे त्रेता और द्वापर युग से निकल कर 21वीं सदी की बातें लिखनी चाहिए। मुझे प्यार मुहब्बत की कहानियाँ लिखनी चाहिए।