Tag: Sanjay Sinha
पुराना छूटेगा, नया मिलेगा
संजय सिन्हा :
गोपियाँ कन्हैया से मनुहार कर रही थीं, “कान्हा हमारे कपड़े लौटा दो।”
जैसा संस्कार दोगे वैसा पाओगे
संजय सिन्हा :
पता नहीं फेसबुक पर किसने लिखा, लेकिन जिसने भी लिखा ये चुटकुला नहीं था और अगर ये चुटकुला था तो बेहद मार्मिक था।
लिखने वाले ने तो लिख दिया कि एक बूढ़ा आदमी अपने फोन को लेकर बाजार में गया, ये दिखाने के लिए कि उसके फोन में क्या खराबी है, ये पता चल जाए।
किसे पसंद नहीं था अमिताभ का नाम
संजय सिन्हा :
इस बार फिल्म 'शमिताभ' के लिए जब अमिताभ बच्चन से मेरा मिलना हुआ था, तब मेरे मन में एक सवाल था, जो मैं उनसे पूछना चाहता था। दरअसल ये सवाल बहुत दिनों से मेरे मन में था, जिसे मैं पूछना चाहता था।
रॉन्ग नंबर पर हैप्पी वैलेंटाइन डे
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
"हैलो रोमियो। आज वैलेंटाइन डे है, प्यार करने की तारीख। तुमने मुझे अभी तक विश नहीं किया। दुनिया तुम्हें प्यार के मसीहा के रूप में जानती है, और तुम इस वक्त सो रहे हो।"
जोश और अनुभव से मिलती है जीत
संजय सिन्हा :
ये कहानी भी माँ ने ही सुनाई होगी, वर्ना और कहाँ से कहानी सुन सकता था मैं, लेकिन ये कहानी मुझे अधूरी सी याद है।
षडयंत्र और छल में बहुत ताकत होती है
संजय सिन्हा :
मुझे लगता है कि अगर राणा सांगा को उन्हीं के एक मंत्री ने छल से जहर नहीं दे दिया होता तो बाबर कभी दिल्ली पर शासन नहीं कर पाता।
गुमनाम लिफाफे का अनजाना संदेश
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
एक अनपढ़ आदमी के नाम कहीं से एक चिट्ठी आयी। अनपढ़ आदमी अकेला था। न आगे नाथ न पीछे पगहा। ऐसा पहली बार हुआ था कि किसी ने उस अनपढ़ आदमी के नाम घर पर चिट्ठी भेजी हो।
जिंदगी सुन जरा मेरा इरादा क्या है
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
संजय से उसकी क्लास टीचर ने पूछा, "संजू अगर मैं तुम्हें दो रुपये दूँ, और फिर दो रुपये दूँ तो तुम्हारी जेब में कितने रुपये होंगे?"
संजू ने कहा कि मैडम जी, पाँच रुपये।
जब कड़ाही को हुआ बच्चा…
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक:
एक बार एक आदमी किसी मुहल्ले में नया-नया रहने आया। एक दिन उसने अपने पड़ोसी से कड़ाही माँगी, यह कहते हुए कि घर पर कुछ मेहमान आने वाले हैं और वह इस्तेमाल के बाद कल तक उसे कड़ाही वापस कर देगा। पड़ोसी ने बहुत कुनमुनाते हुए, अनमने ढंग से उसे एक पुरानी और टूटी हुई कड़ाही दे दी।
समय उसी का साथ देता है जो…
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
जिन दिनों हम अमेरिका में थे, हमें कई तरह के अनुभवों से गुजरना पड़ा - एक से बढ़ कर एक हास्यास्पद घटनाओं से, एक से एक बढ़ कर संवेदनशील घटनाओं से और एक से एक बढ़ कर शिक्षाप्रद घटनाओें से। अपने संपर्क में आने वाले बहुत से लोगों को मैं एक घटना सुनाता हूँ। यह मेरे जीवन का टर्निंग प्वाइंट रहा है।