Sunday, October 26, 2025
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खुदाई फौजदार

प्रेमचंद :

सेठ नानकचन्द को आज फिर वही लिफाफा मिला और वही लिखावट सामने 

आयी तो उनका चेहरा पीला पड़ गया। लिफाफा खोलते हुए हाथ और ह्रदय

दोनों काँपने लगे। खत में क्या है, यह उन्हें खूब मालूम था। इसी तरह के

दो खत पहले पा चुके थे। इस तीसरे खत में भी वही धामकियाँ हैं, इसमें

उन्हें सन्देह न था। पत्र हाथ में लिये हुए आकाश की ओर ताकने लगे।

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