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राजनीति के बिगड़े बोल
संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय :
भारतीय राजनीति में भाषा की ऐसी गिरावट शायद पहले कभी नहीं देखी गयी। ऊपर से नीचे तक सड़कछाप भाषा ने अपनी बड़ी जगह बना ली है। ये ऐसा समय है जब शब्द सहमे हुए हैं, क्योंकि उनके दुरूपयोग की घटनाएं लगातार जारी हैं। राजनीति जिसे देश चलाना है और देश को रास्ता दिखाना है,वह खुद गहरे भटकाव की शिकार है।
सोशल मीडिया पर क्रांतिदूतों से डर
यशवंत राना:
नींद कभी-कभी जरूरी होती है और बहुत अच्छी लगती है। आज दिनभर सोता रहा और बस सोता ही रहा। कभी जगा भी तो जरूरत भर का काम करके फिर सो गया। अब भी शर्म से रोक रखा है कि यार ये भी क्या है ! समय की लाज भी तो कोई चीज होती है! उसके लिए ही कुछ कर लो। थोड़ा लिख-पढ़ लो। इतना सोने के बाद फिर सोना भी क्या सोना है!
फेसबुक के इस्तेमाल
आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
गुजरात की मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया पर इस्तीफा दिया। नेता चुन कर आता है जनता द्वारा, पर मुक्ति चाहता है फेसबुक द्वारा। फेसबुक के यूँ कई इस्तेमाल हैं- इस पर कविता, इश्क और इस्तीफा कुछ भी किया जा सकता है। यूँ कई लोग इस्तीफा और इश्क में असमर्थ होते हैं, तो फेसबुक पर कविता का अंबार दिखायी देता है।
सोशल मीडिया के माध्यम से जनता देगी नया आयाम
पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :
तीस मई को बीत गया पत्रकारिता दिवस। सुबह अखबारों में देख रहा था वरिष्ठ पत्रकार भाई पुण्य प्रसून वाजपेयी का बीएचयू में सिद्धांत झाड़ने वाला व्याख्यान तो वाराणसी पत्रकार संघ और काशी विद्यापीठ में आयोजित संगोष्ठियों के समाचारों में एक समानता यह नजर आयी कि वक्ताओं नें लंबी चौड़ी बातें की और जताने की कोशिश की कि पत्रकारिता परवान चढ़ी है। परंतु किसी ने भी यह जमीनी सच कहने की हिम्मत नहीं की कि मुख्य धारा की पत्रकारिता राह से भटक चुकी है।
आम आदमी के नये ताजमहल की कहानी
निर्देशक सुमित ऑजमंड शॉ की छोटी फिल्में सोशल मीडिया पर जबरदस्त ढंग से वायरल हो रही हैं। जर्मन दूतावास के लिए सुमित ऑजमंड शॉ की निर्देशित लघु फिल्म “लेबे जेट्ज कल हो ना हो” को यू-ट्यूब पर 10 लाख बार से ज्यादा देखा गया और अभी उनकी नयी फिल्म “द मैन हू बिल्ट ऐनदर ताज” को देखने वालों की संख्या 35 लाख को पार कर गयी है। उनकी वायरल हो रही फिल्मों और इस नये ऑनलाइन मंच के बारे में एक बातचीत।
सोशल मीडिया @ सलमान खान
सुशांत झा, पत्रकार :
सलमान प्रकरण में सबसे अच्छी बात ये हुई है कि पब्लिक की निष्पक्ष और त्वरित न्याय पाने की व्यग्रता अपने विराट रूप में प्रकट हुई है।
लोक-माध्यमों पर छलकी 66ए रद होने की खुशी
डेस्क, देश मंथन :
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66ए सुप्रीम कोर्ट द्वारा निरस्त किये जाने पर सोशल मीडिया में उत्सव का माहौल है। फेसबुक, ट्विटर पर लोग तरह-तरह से अपना उल्लास प्रदर्शित कर रहे हैं।
तिरंगे को सलामी पर बेवजह विवाद
गणतंत्र दिवस परेड के दौरान उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी द्वारा राष्ट्रीय ध्वज को सलामी देने की बजाय महज सावधान की मुद्रा में खड़े रहने पर सोशल मीडिया पर विवाद छिड़ गया।
फिल्म पीके पर छिड़ा संग्राम, निशाने पर रहे आमिर
देश मंथन डेस्क :
आमिर खान अभिनीत फिल्म पीके की विषय-वस्तु और कथानक को लेकर सोशल मीडिया साइट ट्विटर में युद्ध छिड़ गया है। हालाँकि ट्विटर पर फिल्म पीके के समर्थक और विरोधी दोनों गुट सक्रिय हैं, जो फिल्म के समर्थन और विरोध में लगातार ट्वीट कर रहे हैं।
मोदी, सेल्फी और सोशल मीडिया
अखिलेश शर्मा, वरिष्ठ संपादक (राजनीतिक), एनडीटीवी :
अहमदाबाद में वोट देने के बाद नरेंद्र मोदी ने लाखों युवाओं की ही तर्ज पर सेल्फी ली। सेल्फी यानी मोबाइल से अपनी ही फोटो खींचना और फिर इसे सोशल मीडिया जैसे ट्विटर या फेसबुक पर डालना। इस चुनाव में ये सबसे अधिक प्रचलन में आया है।