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डारया की मनुष्यता बनारस का दिल जीत ले गयी
प्रेम प्रकाश :
डारया यूरिएवा प्रोकीना...! यही नाम है उस रूसी लड़की का जो पिछले छह महीने से भारत भ्रमण पर थी। बनारस मे उसकी दोस्ती सिद्धार्थ श्रीवास्तव से हुई और वह उसी के साथ बनारस घूमने लगी। नजदीकियाँ बढ़ीं। दोनों की दोस्ती प्रगाढ़ होने लगी और इतनी प्रगाढ़ हो गयी कि डारया ठहरने के लिए होटल छोड़ कर सिद्धार्थ के घर चली आयी। इस बीच वे साथ-साथ घूमते रहे और नजदीक आते गये।
ज्ञान ही ज्ञान
सुशांत झा, पत्रकार :
उन लोगों पर ताज्जुब होता है जो कहते हैं कि पीएम को बिहार में 40 सभाएँ नहीं करनी चाहिए। अरे भाई, इसका क्या मतलब कि जिस बच्चे को 12वीं में 99 फीसदी नंबर आये वो IIT की परीक्षा में दारू पीकर इक्जाम देने चला जाये? हद है! चुनाव है या फेसबुक पोस्ट कि कुछ भी लिख दिया? विपक्षी दलों के पास नेता नहीं है और जो हैं या तो वो जोकर किस्म के हैं या किसी आईलैंड पर तफरीह कर रहे हैं तो इसमें नरेंद्र मोदी का क्या दोष है? ये तो उस आदमी का बड़प्पन है कि सांढ का सींग पकड़कर मैदान में डटा हुआ है।
जीवन का शाप
प्रेमचंद :
कावसजी ने पत्र निकाला और यश कमाने लगे। शापूरजी ने रुई की दलाली शुरू की और धन कमाने लगे? कमाई दोनों ही कर रहे थे, पर शापूरजी प्रसन्न थे; कावसजी विरक्त। शापूरजी को धन के साथ सम्मान और यश आप-ही-आप मिलता था। कावसजी को यश के साथ धन दूरबीन से देखने पर भी दिखायी न देता था; इसलिए शापूरजी के जीवन में शांति थी, सह्रदयता थी, आशीर्वाद था, क्रीड़ा थी।