Monday, July 14, 2025
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झूमते बाजरे के साथ चलता सफर

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार : 

श्रीमहाबीर जी से करौली जाना चाहता हूँ। छोटे से बस स्टैंड पर बसें कम आती हैं। लोग बताते हैं कि आप जीप से खेड़ा तक चले जाओ वहाँ से बसें मिल जाएँगी। खेड़ी की जीप में बैठता हूँ। रेलवे स्टेशन श्री महाबीर जी के पास जाकर जीप थोड़ी देर के लिए रूक जाती है। मैं सुबह के नाश्ते में कचौड़ियाँ खाता हूँ। जीप खेड़ा गाँव में पहुँचा देती है। पर वहाँ पता चलता है चौक से गली होकर मुख्य सड़क पर जाइए वहाँ से साधन मिल सकेगा। पैदल चलकर हिंडौन करौली हाईवे पर पहुँचता हूँ। एक जीप वाले मिलते हैं वे करौली ले जाने को तैयार हैं। जीप में बैठ जाता हूँ। सड़क के दोनों तरफ खेतों में बाजरे की फसल झूम रही है। 

अति सुंदर नक्काशियों वाला महल – सिटी पैलेस करौली

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार : 

करौली बस स्टैंड की तरफ से पैदल चलते हुए बाजार की ओर बढ़ रहा हूँ। थोड़ी देर में एक गेट आता है। इसका नाम है हिंडौन गेट। गेट के आसपास घना बाजार है। आसपास में पतंगों की दुकानें लगी हैं। पर पुराना गेट अभी भी अच्छी हालत में है। किसी समय में करौली शहर में ऐसे छह दरवाजे थे। इसके अलावा दुश्मन का मुकाबला करने के लिए 11 परकोटे भी थे। करौली शहर पंचना नदी के तट पर बसा है। नदी पर बने डैम से शहर को पानी मिलता है। नदी पर बना बाँध मिट्टी का है।

करौली का अदभुत मदन मोहन मन्दिर

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार : 

कान्हा जी यानी मदन मोहन जी का मन्दिर करौली किले में मुख्य शहर में स्थित है। इस मन्दिर का निर्माण महाराजा गोपाल सिंह ने करवाया था। इस मन्दिर में भगवान कृष्ण और देवी राधा की प्रतिमाएँ हैं। करौली के निवासियों में मदन मोहन के प्रति अपार श्रद्धा और आस्था है। श्रीकृष्ण  भगवान के अनेक नामों में से एक प्रिय नाम मदन मोहन भी है।

एक चार मीनार और रंग हजार

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार : 

हैदराबाद शहर की पहचान चार मीनार से है। तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद का सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण स्मारक है चार मीनार। 400 साल से ज्यादा हो गये, चार मीनार शान से खड़ा है। चार मीनार  को मुहम्मद कुली कुतुब शाह ने बनवाया था। सुल्तान मुहम्मद कुली कुतुब शाह, कुतुब शाही राजवंश का पाँचवाँ शासक था। इसका निर्माण 1591 ई में हुआ। 

जय माँ कैला देवी में डाकू भी आते हैं मन्नत माँगने

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

राजस्थान के करौली जिले में शक्ति की देवी कैला देवी का मन्दिर सुन्दर है। इस मन्दिर के प्रति राजस्थान, मध्य प्रदेश उत्तर प्रदेश के लोगों में अगाध आस्था है। यहाँ तक की चंबल के क्षेत्र में सक्रिय डाकू भी इस मन्दिर में माँ की आराधना करने आया करते थे।

24वें तीर्थंकर का अनूठा दिगंबर जैन मन्दिर

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार : 

जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर श्री महावीर का अदभुत मन्दिर राजस्थान के करौली जिले में स्थित है। इस मन्दिर के नाम पर ही मथुरा सवाई माधोपुर के मध्य श्री महावीर जी नामक रेलवे स्टेशन है। यह मन्दिर दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र के नाम से प्रसिद्ध है। देश भर के दिगंबर जैन मतावलंबियों की इस मन्दिर में अगाध श्रद्धा है।

पानी बचाएँ तभी बचेगी जिन्दगी और बचेंगे परिंदे

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार : 

कुदरत ने इंसान के ढेर सारी खूबियाँ बक्शी हैं पर उसे उड़ने का इल्म नहीं दिया। जिन पक्षियों को उड़ने को इल्म दिया है उन्हें प्रकृति से समन्वय बनाने की ताकत भी दी है। बदलते मौसम की मार से खुद को बचाए रखने के लिए पक्षी साल में कई महीने स्थान परिवर्तन करते हैं। ये परिवर्तन न सिर्फ मौसम से अनुकूलन के लिए होता है बल्कि प्रजनन के लिए भी होता है।

रुठते परिंदे – 2002 में आखिरी बार आया था साइबेरियन क्रेन

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार : 

विश्व पटल पर लंबे समय तक केवलादेव नेशनल पार्क की पहचान साइबेरियन क्रेन के कारण रही है। यहाँ हर साल साइबेरियन क्रेनों का जोड़ा सर्दियों से बचने के लिए और अपनी नई पीढ़ी को जन्म देने के लिए आया करता था। पर बदलते पर्यावरण के कारण एक वक्त आया जब साइबेरियन क्रेनों ने अपनी राह बदल ली। इस कदर रूठे कि दुबारा यहाँ का रुख नहीं किया।

केवलादेव – चलो परिंदों की जुबाँ समझें

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार : 

अगर आप प्रकृति और पशु पक्षियों से प्रेम करते हैं तो आपके लिए घूमने के लिए केवलादेव नेशनल पार्क शानदार जगह हो सकती है। राजस्थान के भरतपुर शहर के बाहरी इलाके में स्थित इस पार्क को घाना पक्षी उद्यान भी कहते हैं। घाना इसलिए कि कभी यहाँ घने जंगल हुआ करते थे।

मुगल सल्तनत की कहानी सुनाता लाल किला

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार : 

लाल किला यानी सदियों से इतिहास के पन्नों में कई तरह के उतार-चढ़ाव का साक्षी। यमुना नदी के किनारे बना ये किला तभी दिखायी देता है जब आपकी ट्रेन पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन में प्रवेश करने वाली होती है। अगर कोई दिल्ली घूमने आता है तो वह लाल किला जरूर जाता है।

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