Tag: Vidyut Prakash Maurya
दशरथ माँझी ने की थी गया से दिल्ली तक पदयात्रा

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
पहाड़ का सीना चीर कर सड़क बनाने वाले दशरथ माँझी के जीवन पर अत्यंत खूबसूरत फिल्म बनी है माँझी द माउंटेन मैन। माँझी ने अपने जीवन काल में एक बार रेलवे ट्रैक से होते हुए पैदल ही गेहलौर से दिल्ली की 1400 किलोमीटर की दूरी तय की थी।
आम आदमी की पहली उड़ान

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
आसमान में उड़ना भला किसे अच्छा नहीं लगता। हर कोई सोचता है कि काश उसके पास भी पंछियों की तरह परवाज होते और उड़ पाता। पर देश की आबादी के 2% लोग भी जीवन में उड़ पाते हैं। शायद नहीं। आप उड़कर दिल्ली से हैदराबाद दो घंटे में पहुँच सकते हैं पर ट्रेन से 20 घंटे में। पर उड़ना हमेशा महँगा सौदा रहा है। पर हम उस आदमी को कैसे भूल सकते हैं जिसने मध्य वर्ग के लोगों को उड़ने का सपना दिखाया।
चले जाना साइकिल मैन ऑफ इंडिया का…

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
साल 2000 की कोई तारीख थी। मैं अमर उजाला जालंधर में शिक्षा बीट पर संवाददाता हुआ करता था। जालंधर नकोदर रोड पर एक रिजार्ट में रविवार की सुनहरी दोपहर में कई स्कूलों का एक संयुक्त आयोजन था, जिसका स्पांसर कंपनी हीरो साइकिल थी। सैकड़ों बच्चे हीरो की नयी-नयी साइकिलों पर रिजार्ट के अंदर फुदक रहे थे।
सारनाथ – आइए यहाँ इतिहास से संवाद करें

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
वाराणसी घूमने गये हों तो सारनाथ न जाएँ ये कैसे हो सकता है। सारनाथ भारत के ऐतिहासिक विरासत का जीता जागता उदाहरण है। भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के पश्चात अपना प्रथम उपदेश यहीं दिया था। बौद्ध धर्म के इतिहास में इस घटना को धर्म चक्र प्रवर्तन ( Turning of the Wheel) का नाम दिया जाता है।
963 झरोखों वाला गुलाबी नगरी का हवा महल

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
गुलाबी शहर जयपुर में स्थित हवा महल राधा और कृष्ण को समर्पित है। यह महल जयपुर शहर की पहचान है। यह एक राजसी-महल है। सन 1798 में बना ये महल किसी राजमुकुट सा दिखायी देता है। हवा महल की पाँच-मन्जिला इमारत ऊपर से महज डेढ़ फीट चौड़ी है। यह बाहर से देखने पर हवा महल किसी मधुमक्खी के छत्ते के समान दिखायी देती है।
मुरादें पूरी करती हैं माँ विंध्यवासिनी

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
शक्ति की देवी माँ विंध्यवासिनी का मन्दिर उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के विंध्याचल में स्थित है। यह स्थान मुगलसराय से इलाहाबाद रेल मार्ग पर पड़ता है। इसे जागृत शक्ति पीठ माना जाता है। यह देश के 51 शक्तिपीठों में से एक है। आद्य शक्ति भगवती विंध्यवासिनी का विंध्य पर्वत माला में हमेशा से निवास स्थान रहा है। महाभारत के विराट पर्व में धर्मराज युद्धिष्ठिर ने माँ विंध्यवासिनी की स्तुति की है।
रोज गार्डन चंडीगढ़ – फूल खिले हैं गुलशन-गुलशन

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
चंडीगढ़ शहर रॉक गार्डेन के अलावा रोज गार्डेन यानी गुलाबों के उद्यान के लिए भी जाना जाता है। गुलाबों का ये उद्यान चंडीगढ़ बस स्टैंड से थोड़ी दूरी पर ही सेक्टर-16 में स्थित है। खासकर वसंत के मौसम में यहाँ गुलाबों की क्यारियाँ जन्नत सा नजारा पेश करती हैं।
गोल्डेन बीच चेन्नई की तिलिस्मी दुनिया

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
चेन्नई शहर के बाहरी इलाके में स्थित है गोल्डेन बीच की तिलिस्मी दुनिया। चेन्नई घूमने वालों की यह खास पसन्द है। गोल्डेन बीच को आप तमाम हिन्दी और दक्षिण भारतीय फिल्मों में देख चुके हैं। यह निजी तौर पर विकसित किया गया समुद्र तट है जहाँ पर कई घंटे परिवार के साथ घूमने का आनन्द लिया जा सकता है।
कोच्चि : यहाँ है वास्को डी गामा की मजार

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
फोर्ट कोच्चि से गुजरते हुए हमें एक चर्च दिखायी देता है, इस चर्च में पुर्तगाली यात्री वास्को डी गामा की मजार है। हम स्कूली किताबों में पढ़ते आये हैं कि वास्को डी गामा ने भारत को खोजा। पर यह आधा सच है। क्या वास्को डी गामा से पहले भारत नहीं था। वास्तव में वास्को डी गामा ने यूरोप से भारत का समुद्री रास्ता भर खोजा था।
गोवा के थिविम रेलवे स्टेशन पर रोटियाँ

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
साल 2012 के अक्तूबर माह में दक्षिण भारत का सफर। 12618 मंगला लक्षदीप एक्सप्रेस वैसे थो थिविम स्टेशन पर 7.12 बजे शाम पहुँचती है पर वह दो घंटे लेट थी। लिहाजा खाने का समय हो गया था। पेट में चूहे खूब कूद रहे थे। थिविम गोवा का एक रेलवे स्टेशन है। ट्रेन का ठहराव महज दो मिनट का है। 21 मीटर समुद्र तल से ऊँचाई पर थिविम छोटा सा स्टेशन है दो प्लेटफार्म हैं यहाँ पर।