Sunday, July 13, 2025
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कुम्हरार – खंडहर सुनाते हैं बुलन्द इमारत की दास्ताँ

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार : 

बिहार की राजधानी पटना में अगर इतिहास से रूबरू होना हो तो कुम्हार पहुँचे। कुम्हार के खंडहरों में अतीत की स्मृतियाँ हैं। यहाँ आकर आप इतिहास से साक्षात्कार कर सकते हैं। कुम्हारार वह जगह है जहाँ सम्राट अशोक के शासन काल में तृतीय बौद्ध संगीति हुई थी।

पंडौल – यहाँ पांडवों ने किया था अज्ञातवास

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार : 

पंडौल यानी पांडवों का आवास। मधुबनी जिले के पंडौल के  बारे में कहा जाता है कि पांडवों ने यहाँ अज्ञातवास में कुछ वक्त गुजारा था। मैं भवानीपुर गाँव से कोई वाहन नहीं मिलने पर पैदल ही पंडौल के लिए चल पड़ता हूँ। रास्ते में एक बाइक वाले लिफ्ट माँगता हूँ। वह बोले ब्रह्मोतरा तक छोड़ दूंगा। मैं उनके बाइक पर पीछे बैठ जाता हूँ। चार किलोमीटर बाद ब्रह्मोतरा गाँव आ जाता है। यह गाँव सकरी पंडौल मुख्य मार्ग पर स्थित है। यहाँ से पंडौल दो किलोमीटर आगे है।

जब महादेव ने की चाकरी – उगना महादेव

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार : 

महादेव यानी शिव का अदभुत मन्दिर है मधुबनी जिले के भवानीपुर गाँव में। उगना महादेव या उग्रनाथ मन्दिर के नाम से यह मन्दिर प्रसिद्ध है। कहा जाता है यहाँ भगवान शिव ने मैथिली के महाकवि विद्यापति की चाकरी की थी।

सीतामढ़ी टू दरभंगा वाया रेल एंड रोड

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार : 

सीतामढ़ी से दरभंगा कभी मीटर गेज रेलवे लाइन थी। अब ब्राडगेज पर रेलगाड़ियाँ दौड़ती हैं, पर रेल सेवा मे ज्यादा बदलाव नहीं आया। सीतामढ़ी से दरभंगा के  बीच दिन भर में दो पैसेंजर ट्रेनें चलती हैं। इनमें बेतहासा भीड़ होती है। सुबह सात बजे से पहले-पहले मैं सीतामढ़ी स्टेशन पर पहुँच जाता हूँ। एक टिकट खरीद लेता हूँ पंडौल तक के लिए। सात बजकर 10 मिनट पर आने वाली 55508 पैसेंजर 20 मिनट देर से आती है।

भिखना ठोरी – यहाँ जार्ज पंचम ने मारे थे 39 बाघ

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार : 

बिहार के पश्चिम चंपारण जिले का भिखना ठोरी रेलवे स्टेशन। गवनहा ब्लाक में स्थित भिखना ठोरी के जंगलों में बिखरे हैं इतिहास के कई पन्ने। यह इलाका ब्रिटेन के राजा जार्ज पंचम के शिकारगाह के तौर पर प्रसिद्ध है। वे नेपाल के राजा के आमंत्रण पर इधर शिकार करने पहुँचे थे।

बापू ने डाली थी बुनियादी शिक्षा की नींव

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार : 

बेतिया शहर के पास कुमारबाग के पास है वृंदावन आश्रम। यह वही आश्रम है, जहाँ बापू पन्डित प्रजापति मिश्र, गुलाब खाँ व पीर मुहम्मद मुनिस के द्वारा निमन्त्रण पर गाँधी सेवा संघ के पंचम अधिवेशन के के मौके पर 2 मई, 1939 को एक बार फिर चंपारण की धरती पर पहुँचे थे।

बापू के भितिहरवा आश्रम की ओर

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार : 

सुबह-सुबह मैं नरकटियागंज के पुरानी बाजार के थाना चौक पहुँचता हूँ। यहाँ से कई ग्रामीण क्षेत्रों में जाने के लिए आँटो रिक्शा चलते हैं। गवनहा तक जाने वाले आँटो रिक्शा भितिहरवा जाते हैं। किराया है 20 रुपये।

भितिहरवा आश्रम : यहाँ से दी बापू ने अंग्रेजों को चुनौती

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

चंपारण की धरती को वह गौरव प्राप्त है, जहाँ से महात्मा गाँधी ने ब्रिटिश राज को चुनौती दी। इसके साथ ही आधुनिक भारत के इतिहास में गाँधी युग की शुरुआत होती है। 1917 का वह साल जब देश के आजादी के आंदोलन के इतिहास के केंद्र में महात्मा गाँधी आ जाते हैं।

हरा-भरा चंपारण, अब नहीं रहा मिनी चंबल

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

किसी जमाने में चंपारण को मिनी चंबल कहा जाता था। पर अब हालात बदल गये हैं।

लौरिया-नंदनगढ़ के बौद्ध स्तूप

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

बेतिया जिले के लौरिया में अशोक स्तंभ के अलावा एक और ऐतिहासिक दर्शनीय स्थल है नंदनगढ़ का बौद्ध स्तूप। लौरिया चौक से बौद्ध स्तूप बायीं तरफ है। लौरिया बाजार को पार करके गाँव के अन्दर एक विशाल टीला आता है जहाँ पर ये स्तूप स्थित है।

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