Tag: Vidyut Prakash Maurya
दौलताबाद का किला : जिसे बेधना था मुश्किल
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
देवगिरी यानी दौलतबाद का किला औरंगाबाद शहर से 11 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम दुर्जेय पहाड़ी पर स्थित है।
खुल्ताबाद : औरंगजेब की मजार पर
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
मुगल बादशाह औरंगजेब ऐसा शासक रहा है, जिसका इतिहास में ज्यादातर नकारात्मक मूल्याँकन हुआ है। दिल्ली के इस सुल्तान की मजार है औरंगाबाद शहर से 30 किलोमीटर दूर खुल्ताबाद में। उसकी दिली तमन्ना थी कि उसे अपने गुरु के बगल में दफनाया जाये।
लेटे हुए हनुमान जी यानी भद्र मारुति
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
देश में बजरंग बली के लाखों मन्दिर होंगे, पर इनमें खुल्ताबाद का भद्र मारुति मन्दिर काफी अलग है।
हिन्दू, बौद्ध और जैन विरासत का संगम है एलोरा
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
अगर आप देश का इतिहास, विरासत, संस्कृति से साक्षात्कार करना चाहते हों तो एलोरा से अच्छी कोई जगह नहीं हो सकती।
माथेरन में कोई डीजल वाहन नहीं चलता
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 8 अप्रैल 2015 को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 10 साल से ज्यादा पुराने डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है।
शिव का बारहवाँ ज्योतिर्लिंग घुश्मेश्वर
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
महाराष्ट्र में औरंगाबाद के समीप ही प्रसिद्ध घृष्णेश्वर मंदिर है जो 12 ज्योतिर्लिगों में से एक है। शिव के ज्योर्तिलिंगों की सूची में ये 12वाँ और आखिरी है।
राजगीर में गुरुद्वारा शीतल कुंड में पहले गुरु की स्मृतियाँ हैं
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
राजगीर अपने ऐतिहासिक कारणों से प्रसिद्ध है। पर बहुत कम लोगों को ही जानकारी होगी कि राजगीर में सिखों के पहले गुरु गुरुनानक जी ने प्रवास किया था। यहाँ उनकी स्मृति में एक गुरुद्वारा भी है। पहले गुरु ने इस ऐतिहासिक स्थल पर 1506 ई. विक्रम संवत में प्रवास कर इस जगह को धार्मिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण बना दिया।
बेटे ने माँ की याद में बनवाया मकबरा
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
औरंगाबाद शहर की पहचान बीबी का मकबरा। पर यहाँ हरियाली कुछ ज्यादा है।
बावन दरवाजों वाला शहर
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
तपोवन एक्सप्रेस दोपहर ढाई बजे औरंगाबाद रेलवे स्टेशन पर दस्तक दे देती है। रेलवे स्टेशन की बाहरी साज सज्जा देखकर ही लग जाता है कि हम किसी ऐतिहासिक शहर में आ गये हैं। रेलवे स्टेशन से आधे किलोमीटर की दूरी पर बंसीलाल नगर में हमारा होटल है श्री माया।
स्नान करने लायक नहीं रहा गोदावरी का जल
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
नांदेड की दूसरी सुबह। मैं और अनादि टहलने निकलते हैं। चलते - चलते जा पहुँचते हैं गोदावरी तट पर। पर यहाँ गोदावरी नदी के जल को देख कर निराशा होती है।