जाँच में सीबीआई की टीम वहीं अटकी हुई है, जहाँ पुलिस ने जाँच शुरू की थी। इस बीच सीबीआई ने वैज्ञानिक जाँच का सहारा लिया। रहस्य की जानकारी देने वाले को पहले पाँच लाख तथा बाद में दस लाख रुपये का ईनाम देने के इश्तेहार चिपकाये गये। झारखंड उच्च न्यायालय भी अब तक की जाँच से संतुष्ट नहीं है। अब सीबीआई की ताक-झाँक कोयलांचल के चर्चित घरानों में शुरू हुई है।
झारखंड के धनबाद जिले में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (एडीजे) उत्तम आनंद की मौत के बाद ढाई माह से अधिक का वक्त गुजर गया है। देश की सबसे बड़ी जाँच एजेंसी सीबीआई के 23 अधिकारी दिमाग खपा रहे हैं। सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की जानकारी में मामला है। झारखंड उच्च न्यायालय निगरानी कर रहा है मामले की। लेकिन ढाई माह में ढाई कदम भी जाँच आगे नहीं बढ़ पायी है। जितना बड़ा मामला, जाँच उतना ही नीचे टेंपो चोरी, मोबाइल चोरी, गांजा और दारू की पियक्कड़ी जैसी बातों में अटकी हुई है।
क्या हुआ था 28 जुलाई को?
28 जुलाई को धनबाद में पदस्थापित एडीजे उत्तम आनंद सुबह की सैर के लिए निकले थे। धनबाद शहर के हृदयस्थल रणधीर वर्मा चौक से कुछ दूरी पर एक ऑटो टेंपो बीच सड़क से एकदम बायीं ओर मुड़ता है, जज साहब को टक्कर मारता है और फिर मुड़ कर बीच सड़क पर चलने लगता है। कुछ लोग घायल एडीजे को अस्पताल ले जाते हैं। हालाँकि तब तक उनकी मौत हो चुकी होती है। सीसीटीवी फुटेज सामने आता है। इससे इस आशंका को बल मिलता है कि जान-बूझ कर ऑटो ने जज साहब को टक्कर मारी थी। माफिया नगरी के रूप में चर्चित धनबाद कोयलांचल में शायद हत्या का यह नया तरीका है। राज्य में न्यायाधीश की कथित हत्या का यह पहला और अनोखा मामला बन गया।
जाँच का नतीजा
पहले पुलिस ने जाँच की। जिले में एसएसपी के रूप में हाल में पदस्थापित हुए संजीव कुमार के लिए यह मामला चुनौतीपूर्ण था। उन्होंने कई टीमें बनायीं। पड़ोसी जिले गिरिडीह से संबंधित ऑटो टेम्पो को बरामद कर लिया। ऑटो को चला रहे लखन वर्मा और राहुल वर्मा को भी गिरफ्तार कर लिया गया। राज्य सरकार की भी किरकिरी हो रही थी, सो आनन-फानन में सरकार ने एसआईटी का भी गठन कर दिया।
सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमना ने मामले को गंभीरता से लिया। इंसाफ की दुनिया से जुड़े अधिकारियों की सुरक्षा पर सरकार से जवाब-तलब होने लगा। फिर मामला देश की सबसे बड़ी जाँच एजेंसी सीबीआई के पास चला गया। एजेंसी के 23 अधिकारी इसमें लगे हुए हैं। सीबीआई ने दोनों आरोपियों की ब्रेन मैपिंग करायी। फॉरेंसिक साइकोलॉजिकल असेसमेंट और नार्को समेत कई तरह के परीक्षण कराये गये। आरोपी बड़े लोगों के मोहरे न हों, कहीं उनकी हत्या न हो जाये, इसलिए उन्हें हवाई जहाज से लाने ले जाने का काम किया गया। दो-दो बार रिमांड में लेकर आरोपियों से पूछताछ की गयी, लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात रहा।
ऐसे रहस्यमय बना पूरा मामला
सबसे पहले सीसीटीवी फुटेज देख कर साफ प्रतीत होने लगा कि साजिश के तहत एडीजे को धक्का मारा गया। बाद में जब पता चला कि दोनों आरोपियों ने जोड़ापोखर क्षेत्र से टेंपो चुराया था, तो रहस्य और अधिक गहराया। जब जाँच आगे बढ़ी और पता चला एक दिन पहले दोनों आरोपियों ने मोबाइल भी चुराये थे तो संदेह अधिक बढ़ा।
अब चर्चित घरानों में सीबीआई की इंट्री
जाँच में सीबीआई की टीम वहीं अटकी हुई है, जहाँ पुलिस ने जाँच शुरू की थी। इस बीच सीबीआई ने वैज्ञानिक जाँच का सहारा लिया। रहस्य की जानकारी देने वाले को पहले पाँच लाख तथा बाद में दस लाख रुपये का ईनाम देने के इश्तेहार चिपकाये गये। झारखंड उच्च न्यायालय भी अब तक की जाँच से संतुष्ट नहीं है। अब सीबीआई की ताक-झाँक कोयलांचल के चर्चित घरानों में शुरू हुई है।
स्व. सूर्यदेव सिंह के पुत्र झरिया के पूर्व विधायक संजीव सिंह के करीबी रंजय सिंह की हत्या का मामला जज उत्तम आनंद की अदालत में आया था। सीबीआई ने इस मामले में राँची के होटवार जेल में बंद नंदकिशोर उर्फ मामा से पूछताछ की। झरिया की वर्तमान एमएलए पूर्णिमा सिंह के एक रिश्तेदार से भी घण्टों पूछताछ हुई।
अब अमन सिंह पर तिरछी नजर
रंजय सिंह हत्याकांड के बाद कोयलांचल के चर्चित घराने सिंह मेंशन की कलह सतह पर आ गयी। एक तरफ स्व. सूर्यदेव सिंह की पत्नी कुंती सिंह, उनके बेटे, देवर रामाधीर हैं तो दूसरे खेमे में देवर एवं पूर्व मंत्री बच्चा सिंह, देवर स्व. राजन सिंह के बेटे नीरज आदि हो गये। बाद में पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह की भी हत्या हो गयी। नीरज हत्याकांड के आरोप में पूर्व विधायक संजीव सिंह धनबाद जेल भेजे गये। इसके बाद स्व. नीरज सिंह की पत्नी पूर्णिमा सिंह झरिया से विधायक बनीं। नीरज हत्याकांड में यूपी का शूटर अमन सिंह भी गिरफ्तार हुआ। वह फिलहाल राँची के होटवार जेल में बंद है। अमन पुलिस के लिए नया सिरदर्द बना हुआ है। उद्यमी और व्यवसायियों का मानना है कि वह कोयलांचल का अमन-चैन बिगाड़ रहा है। आरोप है कि जेल में रह कर ही वह रंगदारी का साम्राज्य चला रहा है। वासेपुर में जमीन कारोबारी लाला खान की हत्या, कतरास में नीरज तिवारी की हत्या, संजय लोयलका, हाराधन मोदक और कार शो रूम पर बमबाजी, विधायक ढुलू महतो के करीबी अभय सिंह एवं अशोक सिंह को धमकी समेत कई मामलों में अमन का नाम आया।
दरअसल इन मामलों की चर्चा करने के पीछे यही कहानी है कि एडीजे उत्तम आनंद रंजय हत्याकांड की सुनवाई कर रहे थे। उन्होंने अमन गिरोह के दो सदस्यों की जमानत नामंजूर की थी। सरायढेला के बहुचर्चित जमीन घोटाले की भी वे सुनवाई कर रहे थे। कोयला चोरी के आरोप में बीसीसीएल के एक महाप्रबंधक के मामले को भी वे देख रहे थे।
कोयलांचल में कोयले की लूट और आउटसोर्सिंग पर कब्जा दबंगों के लिए रोजमर्रा की बात हो गयी है। सीआईएसएफ और पुलिस की भूमिका मूकदर्शक या कहीं-कहीं साझेदार जैसी है। ऐसे में उद्यमी और कारोबारी सशंकित हैं। कारोबारियों ने जिले के पुलिस कप्तान से कहा कि मोबाइल की एक घंटी बजने से वे सहम जाते हैं। कौन रंगदारी माँगे और कौन गोली चला दे, यह कहना मुश्किल है।
कोयलांचल सहमा हुआ है। वजह चाहे जो भी हो, आम लोगों की यह धारणा बनती जा रही है कि जब सीबीआई, उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय – सब की सक्रियता के बावजूद इस हाईप्रोफाइल मामले में अब तक हत्या की वजह भी सामने नहीं आ पायी तो आम लोगों को क्या खाक न्याय मिल पायेगा। लोगों के जेहन में सवाल तैर रहे हैं। जवाब देने वाले ही सवालों की सलीब पर टँगे नजर आ रहे हैं।
(देश मंथन, 12 अक्टूबर 2021)