सर्वोच्च न्यायालय की सख्त टिप्पणी के बीच बुलडोजर कार्रवाई जारी

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Supreme Court

देश में बुलडोजर कार्रवाई (bulldozer action) को लेकर पिछले दिनों सियासत गरमायी रही थी। खास कर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और असम समेत भाजपा शासित राज्यों में बुलडोजर कार्रवाई पर लगातार सवाल उठे हैं। वहीं गुजरात के सोमनाथ मंदिर के आस-पास अवैध निर्माण पर बुलडोजर चलाने का मामला भी सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) पहुँच चुका […]

देश में बुलडोजर कार्रवाई (bulldozer action) को लेकर पिछले दिनों सियासत गरमायी रही थी। खास कर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और असम समेत भाजपा शासित राज्यों में बुलडोजर कार्रवाई पर लगातार सवाल उठे हैं। वहीं गुजरात के सोमनाथ मंदिर के आस-पास अवैध निर्माण पर बुलडोजर चलाने का मामला भी सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) पहुँच चुका है। पटनी मुस्लिम समाज की तरफ से इस मामले को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दायर की गयी है।

दरअसल, सर्वोच्च न्यायालय ने अगली सुनवाई (1 अक्टूबर) तक बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगा दी थी। लेकिन, इसी बीच बहराइच में भी अवैध निर्माण पर बुलडोजर चला और सोमनाथ मंदिर के पास कथित तौर पर अवैध निर्माण को ढहाया गया। इसके बाद कोर्ट की अंतरिम रोक के आदेश का हवाला देते हुए सोमनाथ मंदिर के पास पुरानी मस्जिदों और मकबरों को तोड़ने के खिलाफ याचिका दायर की गयी। स्थानीय प्रशासन ने 36 बुलडोजर और 1,400 पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में अवैध निर्माण को ढहाया था।

न्यायालय ने पहले भी जतायी थी आपत्ति

इसके पहले, सर्वोच्च न्यायालय ने बुलडोजर कार्रवाई पर आपत्ति जाहिर की थी। न्यायालय ने पूछा था कि दोषी होने पर भी किसी का मकान कैसे ढहाया जा सकता है। न्यायालय ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा था कि बुलडोजर कार्रवाई का महिमामंडन नहीं होना चाहिए। वहीं इस मामले में आगे की सुनवाई करते हुए मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय ने एक बड़ी टिप्पणी की है।

सर्वोच्च न्यायालय की सख्त टिप्पणी

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि सार्वजनिक सुरक्षा और कानून व्यवस्था सर्वोपरि है। न्यायालय ने कहा कि सार्वजनिक संपत्तियों, जैसे सड़क, जल निकायों और रेलवे लाइन पर अतिक्रमण के मामलों में हमने पहले ही अपना रुख साफ कर दिया है। अगर बीच सड़क पर कोई धार्मिक स्थल है तो यह बाधक नहीं बन सकता है। यह निर्णय भारत के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांत के अनुरूप है और यह सभी नागरिकों पर समान रूप से लागू होगा।

न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि जहाँ जनता की सुरक्षा की बात होगी, ऐसे मे चाहे मंदिर हो या दरगाह, सार्वजनिक स्थल से उसे हटाना ही होगा। बुलडोजर कार्रवाई को लेकर उन्होंने कहा कि कार्रवाई के आदेश से पहले एक तय समय-सीमा होनी चाहिए।

बुलडोजर कार्रवाई पर घमासान जारी

दरअसल, बीते कुछ समय से बुलडोजर कार्रवाई पर सवाल उठ रहे हैं। कई राज्यों में संगीन अपराधों में लिप्त अभियुक्तों के घरों-दुकानों आदि पर बुलडोजर चला है। इसका विरोध करने पर सरकार और पुलिस-प्रशासन की तरफ से कहा जाता है कि यह कार्रवाई उस अपराध के लिए नहीं, बिना नक्शे या अतिक्रमण करके किये गये निर्माण के कारण की गयी है।

वहीं पिछले कुछ मामलों में बुलडोजर कार्रवाई को लेकर विपक्ष लगातार भाजपा शासित राज्यों की सरकारों पर यह आरोप लगाता रहा है कि भाजपा सरकारें धर्म के आधार पर कार्रवाई करती हैं। हालाँकि, उन राज्यों की भाजपा सरकारें ऐसे आरोपों को खारिज करती रही हैं। दिलचस्प बात यह है कि जिस वक्त सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई चल रही थी, उस वक्त भी राजस्थान में अवैध अतिक्रमण पर बुलडोजर चला है। इसको लेकर भी राजनीतिक बयानबाजी हो रही है।

(देश मंथन, 2 अक्तूबर 2024)

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