एक या दो, मोदी की दुविधा

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अखिलेश शर्मा, पत्रकार

मंगलवार दिन भर दिल्ली में जुटे रहे यूपी बीजेपी के शीर्ष नेता। राज्य प्रभारी अमित शाह के साथ होती रही माथा पच्ची।

राज्य की सभी 80 सीटों के लिए उम्मीदवारों की सूची को अंतिम रूप देने के लिए। आठ मार्च और 13 मार्च को होने वाली केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में राज्य से ज्यादातर उम्मीदवार घोषित किए जाने की संभावना है। ये तय माना जा रहा है कि पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह गाजियाबाद के बजाए लखनऊ से चुनाव लड़ेंगे। लेकिन नरेंद्र मोदी की बनारस से उम्मीदवारी को लेकर अभी तस्वीर साफ नहीं हो पाई है।

राज्य बीजेपी के अधिकांश नेता चाहते हैं कि मोदी बनारस या लखनऊ से चुनाव मैदान में उतरें। राजनाथ के लखनऊ जाने की बात तय होने से अब बनारस की ही सीट मोदी के लिए बचती है। उधर, बिहार बीजेपी के नेता चाहते हैं कि मोदी पटना से चुनाव मैदान में उतरें। लेकिन उनका कहना है कि अगर मोदी बनारस से भी लड़ते हैं तो बिहार के कई हिस्सों में इसका असर होगा और बीजेपी को मजबूती मिलेगी।

बीजेपी के रणनीतिकारों का मानना है कि इस चुनाव में उत्तर प्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र सबसे महत्वपूर्ण राज्य हैं। यूपी-बिहार में बीजेपी का अच्छा प्रदर्शन हो, इसके लिए जरूरी है कि मोदी यूपी से चुनाव लड़ें। अमित शाह ये बात खुले तौर पर कह चुके हैं। बनारस से फिलहाल मुरली मनोहर जोशी पार्टी के सांसद हैं और वो अपनी सीट छोड़ने को तैयार नहीं हैं। लेकिन पार्टी का कहना है कि अगर मोदी के बनारस से चुनाव लड़ने का फैसला होता है, तो जोशी को कानपुर से चुनाव लड़ने के लिए मना लिया जाएगा।

वहीं, गुजरात बीजेपी साफ कर चुकी है कि मोदी को राज्य से लड़ना ही होगा। उसे लगता है कि उसके मिशन 26 के लिए ये बेहद जरूरी है। सूत्रों के मुताबिक खुद नरेंद्र मोदी भी चाहते हैं कि गुजरात से बीजेपी इस बार लोक सभा की सबसे ज्यादा सीटें जीतें। मोदी के लिए अहमदाबाद पूर्व या वडोदरा का नाम सुझाया गया है। बीजेपी सूत्रों का कहना है कि मोदी यूपी से लड़ें या न लड़ें, लेकिन गुजरात से हर हालत में लोक सभा का चुनाव लड़ेंगे।

तो सवाल यही खड़ा होता है कि मोदी एक सीट से लड़ेंगे या फिर दो सीटों से? दो सीटों से चुनाव लड़ना कोई नई बात नहीं है। खुद इंदिरा गांधी दो लोक सभा सीटों से चुनाव लड़ चुकी हैं। लेकिन संवैधानिक बाध्यता है कि कोई व्यक्ति एक ही सीट से लोक सभा का सदस्य रह सकता है। यानी अगर वो दोनों सीटें जीतता है तो उसे एक सीट से इस्तीफा देना पड़ेगा। इसीलिए पूछा जा रहा है कि मोदी अगर यूपी और गुजरात दोनों जगह से खड़े होते हैं तो वो दोनों जगह से जीतने की स्थिति में कौन सी सीट से इस्तीफा देंगे?

आम आदमी पार्टी की ओर से संकेत मिला है कि उसके नेता अरविंद केजरीवाल बनारस से नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ सकते हैं। विश्लेषकों के मुताबिक ऐसा होने पर कांग्रेस, एसपी-बीएसपी जैसे विरोधी दल केजरीवाल को समर्थन देकर मोदी का मुकाबला कठिन बनाने की कोशिश कर सकते हैं। ये भी माना जा रहा है कि ऐसा होने पर केजरीवाल को जबरदस्त प्रचार मिलेगा और इसके बूते उनकी पार्टी देश के दूसरे हिस्सों में भी कई सीटों पर मुकाबले में आती दिख जाएगी।

लेकिन बीजेपी के रणनीतिकार केजरीवाल के चुनाव लड़ने की संभावना को ज्यादा तरजीह नहीं देते हैं। उनका मानना है कि अरविंद केजरीवाल सुर्खियां बटोरने का कोई मौका नहीं छोड़ेंगे और जरूरी नहीं है कि मोदी के सिर्फ गुजरात से ही चुनाव लड़ने पर वो वहां से उनके खिलाफ खड़े न हों। बल्कि मोदी कहीं से भी चुनाव लड़ें, केजरीवाल उनके खिलाफ मैदान में उतर सकते हैं। इसलिए केजरीवाल के चुनाव लड़ने की संभावना या उसके गणित के हिसाब से बीजेपी अपना फैसला नहीं कर सकती है।

आखिर में पार्टी में यही तय हुआ है कि इस बारे में अंतिम फैसला नरेंद्र मोदी खुद ही करें। वही तय करें कि वो एक सीट से लड़ेंगे या फिर दो से। या वो सिर्फ गुजरात से लड़ेंगे या फिर यूपी से भी। इतना तय है कि मोदी इस बारे में जो भी फैसला करेंगे, वो चुनावी लाभ और नुकसान को ध्यान में रख कर ही किया जाएगा न कि बीजेपी के अंदरूनी समीकरणों को दुरुस्त करने के लिए, जैसा कि पार्टी का एक धड़ा चाहता है। ये संभावना है कि मोदी की उम्मीदवारी का एलान पार्टी सबसे आखिरी में करे।

 

 

 

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