95 परसेंटवालों पे बंदिश

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आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :

कक्षा बारह के रिजल्ट जब आते हैं, तब गर्मी का मौसम होता है। विकट गर्मी और आग उन बच्चों के लिए हो जाती है, जिनके कक्षा बारह में 40 से 60% के बीच कहीं आये हैं।

ऐसे बच्चों को रिश्तेदारों के, परिजनों के इस सवाल का जवाब देने में विकट पसीना आ रहा है कि बताओ रिजल्ट क्या रहा। दिक्कत है, क्या जवाब दें। इस दौर में 99% से नीचे का कोई भी प्रतिशत बहुत निम्नस्तरीय माना जाता है।

इस सीजन में कुछ बच्चे सीना चौड़ा करके घूमते हैं – इतने परसेंट, उतने परसेंट मिले। जिनके उतने परसेंट नहीं हैं, वो मुँह छिपाते घूमते हैं, क्या बतायें कितने परसेंट।

मेरा निवेदन है कि जिन बच्चों को 95% से ज्यादा आ जायें, उन पर बन्दिश होनी चाहिए कि वह अपनी परसेंट सार्वजनिक तौर पर ना बतायें। बहुत बच्चे शर्मसार होते हैं। ऐसे शर्मसार बच्चों के उत्साहवर्धन के लिए कुछ कथाएँ तैयार की गयी हैं, ये बच्चे इन कथाओं को पढ़ें और उत्साहित हो जायें –

प्रतिशत कथा एक – मेरे पास फादर या गाडफादर है

अर्जुन ने अपने सारे लक्ष्यों पर अचूक निशाना लगाया। 

शत-प्रतिशत निशाना सही है तुम्हारा अर्जुन, शत-प्रतिशत निशाना लगाकर तुमने बहुत शानदार उपलब्धि हासिल की है – गुरु द्रोणाचार्य बोले।

अर्जुन इतराता हुआ धनुष – बाण टाँगता हुआ निकला और दुर्योधन से कहा – मेरा रिजल्ट तो शत-प्रतिशत रहा, बता तेरा रिजल्ट क्या रहा। 

दुर्योधन बोला – अबे रिजल्ट को पूछ कौन रहा है।

अर्जुन ने फिर कहा – अरे रिजल्ट ही तो सब कुछ है। मेरे पास शत-प्रतिशत रिजल्ट है। बता तेरे पास क्या है। 

दुर्योधन मुस्कुराते हुए बोला – तेरे पास होगा शत-प्रतिशत रिजल्ट, मेरे पास बाप है, जो हस्तिनापुर की गद्दी पर है। वही फैसला करेगा कि अगला राजा कौन होगा। रिजल्ट को तू जहाँ चाहे रख आ, राजा तो मुझे ही बनना है।

गद्दी मेरी, मेरे बाप की। क्या करेगी शत-प्रतिशत की परसेंटेज आपकी।

अर्जुन निराश-परेशान-हैरान सा निकल लिया। दुर्योधन खिलखिलाता हुआ गद्दी का हकदार हुआ। इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि परसेंट से कुछ खास नहीं होता।

जिसका बाप सही जगह सैट हो, उसका खेल सुपर-सैट होने से कोई नहीं रोक सकता। जिसके बन्दे का फादर सही जगह सैट नहीं है, तो उसे अपना कोई सही सा गॉडफादर सैट, माईबाप सैट करना चाहिए। फादर नसीब से मिलता है, पर गॉडफादर तो कोई भी अपनी कर्मठता और सम्यक चमचई से बना सकता है।

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि नसीब अगर कायदे का फादर ना दे, तो फिर कायदे का गॉडफादर बना लेना चाहिए। फिर रिजल्ट-परसेंट वगैरह की कोई ना पूछता।

(देश मंथन, 26 मई 2015)

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