नेताजी, मान लीजिए कि दाँव गलत पड़ गया

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संजय कुमार सिंह, संस्थापक, अनुवाद कम्युनिकेशन:   

कुछ मित्र कह रहे हैं कि मुलायम सिंह ने अमिताभ ठाकुर को फोन किया वह धमकाना नहीं है। कुछ का कहना है कि फोन में आवाज मुलायम सिंह की नहीं है। किसी का कहना है फोन टेप करके उसे सार्वजनिक करना गलत है और यह भी कि मुलायम सिंह सत्तारूढ़ दल के प्रमुख हैं – सरकार तो धमकाती ही रहती है। उस लिहाज से मुलायम सिंह ने जो कहा वह धमकी नहीं है। या उस पर इतना बवाल क्यों।

इतना ही नहीं, आरोप यह भी लगाये जा रहे हैं कि अमिताभ ठाकुर किसी राजनैतिक दल के इशारे पर काम कर रहे हैं। यहाँ मुझे एक पुराना मामला याद आ रहा है। एक मित्र पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक गैगस्टर गिरोह पर लगातार स्टोरी कर रहे थे। उस समय फोन बहुत आम नहीं थे। मोबाइल तो था ही नहीं। इस मित्र के घर पर लैंड लाइन भी नहीं था। एक दिन वही गैंगस्टर दल बल के साथ, हथियारों से लैस मित्र के घर आया। अच्छे से बात की और कहा कि आप अच्छी पत्रकारिता करते हैं, अच्छा लिख रहे हैं आदि या ऐसा ही कुछ।

कहने का तात्पर्य यह है कि उसने अच्छे से बात की और कोई धमकी नहीं दी। पर क्या आप मानेंगे कि वह प्रोत्साहन देने आया था। तारीफ करने आया था। या उसके आने का असर धमकी के अलावा कुछ और हुआ होगा। इसी तरह, मुलायम सिंह ने फोन किया। पुराने मामले की याद दिलाई और कहा कि सुधर जाइए – इससे ज्यादा और कुछ कहने की जरूरत थी क्या उन्हें। जाहिर है मुलायम सिंह को उम्मीद थी कि पुराने मामलों का हवाला देने और उनके कद तथा ताकत व हस्ती को जानने वाला उनके फोन करने का मतलब समझ जायेगा। और अमिताभ ने मेरे हिसाब से ठीक ही समझा है। एक मित्र का मानना है कि, “इस मामले में नेताजी से ज्यादा ठाकुर दोषी लग रहे हैं। वह जानबूझकर उकसा रहा है, क्योंकि उन्हें पता है कि वह फोन टेप कर रहे हैं, नेताजी को बार-बार भड़काना चाह रहे हैं, जबकि मुलायम ने समझाने और हड़काने के अंदाज में शुरू से लेकर अन्त तक बात की। ठाकुर किसी साजिश में लगा हुआ दिखते हैं।” टेप मैंने भी सुना है और मुझे अमिताभ सिर्फ सर, समझा नहीं, आदेश किया जाए सर जैसी बातें ही कहते सुनायी दे रहे हैं। इसे भड़काना कहना मेरी समझ से परे है। अमिताभ अगर बातचीत टेप कर रहे थे तो जाहिर है, वो ऐसी गलती खुद क्यों करेंगे।

कुछ लोग निजी बातचीत को सार्वजनिक करने जैसी बात भी कर रहे हैं। यही नहीं, एक मित्र का मानना है कि मुलायम राज में एक सभासद भी आईपीएस से निपट लेता है। मुलायम को फोन करने की जरूरत नहीं है। मेरा मानना है कि अव्वल तो मुख्य मन्त्री के पिता या सत्तारूढ़ दल के मुखिया को किसी सरकारी अधिकारी को फोन करने की कोई तुक नहीं है। सरकारी अधिकारी सरकार का नौकर होता है – पिता पुत्र का नहीं। और गलती नाप कर नहीं की जाती कि आपने बड़ी की मैंने छोटी की। जहाँ तक दूसरे अधिकारियों के मामले में ऐसे फोन सामान्य होने की बात है तो मैं यही कहूँगा कि धमकी जिसे दी जाए उसे एतराज नहीं हो तो कोई दूसरा क्या कर सकते हैं। यह कोई नजीर नहीं है कि सरकार तो धमकाती रहती है। वैसे भी, मुलायम की धमकी उस श्रेणी में नहीं है। बातचीत निजी भी नहीं है। या यूँ कहिए कि बातचीत नहीं, सिर्फ धमकी ही है ऑडियो में – बाकी जो निजी कही जा सकती है वो भूमिका है – धमकी की। संबंध बताना निजी बातचीत नहीं है। तुम्हारे घर गया था, पिताजी ने कहा ध्यान रखना – ये भी तो धमकाना ही है। सार्वजनिक मैं नहीं मानता कि मुलायम सिंह गलत नहीं है और अमिताभ ठाकुर किसी भी रूप में गलत। बाकी जिसकी लाठी उसकी भैंस का कुछ नहीं किया जा सकता है।

मुझे लगता है कि मुलायम सिंह को यह उम्मीद ही नहीं होगी कि अमिताभ बातचीत टेप करके सार्वजनिक कर देंगे। इस हिसाब से उनका दाँव गलत रहा। अब लीपा पोती की कोशिश में सबसे अच्छा यही हो सकता था कि टेप फर्जी है – जिसे मानना मुश्किल था। फिर भी बात दबायी जा सकती थी, लेकिन अमिताभ ठाकुर के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज होने से धमकी का मामला और उलझता हुआ दिखायी दे रहा है। मुझे लगता है कि यह पुराना आरोप है, जिसमें अमिताभ ने ही माँग की थी कि एफआईआर दर्ज करके कार्रवाई की जाए। इस बारे में अमिताभ ठाकुर ने कहा है, “मैं अपने और पत्नी डॉँ. नूतन के ऊपर गाजियाबाद की एक महिला द्वारा कल गोमती नगर थाने पर दी गयी प्रार्थना पत्र पर बलात्कार का मुकदमा दर्ज किये जाने का स्वागत करता हूँ और इसे मुलायम सिंह का रिटर्न गिफ्ट मानता हूँ। हमारे पास तमाम ऐसे साक्ष्य और तथ्य हैं जो इस रेप आरोप को पूरी तरह झूठा साबित कर देंगे। पर अच्छा यह है कि इसी बहाने राजनेता-अपराधी-प्रशासन गठजोड़ सामने आएगा। हमें स्थानीय पुलिस पर रत्ती भर भरोसा नहीं और हम इस मामले की सीबीआई जाँच के लिए कल ही हाई कोर्ट में याचिका दायर करेंगे। इस दौरान आने वाली सभी परेशानियों को मैं और नूतन एक सौगात मानते हैं।”

(देश मंथन,13  जुलाई 2015)

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