हार का ठीकरा सेनापति पर तो जीत का श्रेय भी उसी को

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पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :

सुनील चतुर्वेदी की समस्या यह है कि वह बोर्ड प्रबंधन के अंग है। न तो वह खिलाड़ी हैं और न ही समालोचक। सुनील को हर शब्द नाप तौल कर लिखना होता है। उनके पास हम जैसी आजादी नहीं है। सुनील भाई आपने संतोष सूरी के कमेंट के संकेत को शायद अच्छी तरह समझा होगा। आप दूसरों के लिए जो करते हो वही दूसरा आपके साथ करेगा। यही जमाने की रीत है भाई।

धोनी की इंदौर में दिखी ताजगी सभी के लिए आश्चर्यचनित प्रसन्नता की बात रही। क्योंकि पिछले मुकाबलों में चाहे वह बांग्लादेश रहा हो या वर्तमान सिरीज, क्या माही एक थके से, उदास से शख्स नहीं दिखे थे? कोई भी इमानदार समालोचक कभी भी दुराग्रही नहीं हो सकता बावजूद इसके कि धोनी ने पत्रकारों और चैनलों पर मानहानि का मुकदमा कर रखा है। 

कोई सफाई नहीं दे रहा कि चाहे आन एयर बोला हूँ या रहा हो मेरा लेखन, मैदान के भीतर धोनी का सबसे बड़ा प्रशंसक रहा हूँ मगर मैदान के बाहर सबसे मुखर आलोचक। कारण उनकी बेजा हरकते रहीं। चाहे टीम या एकादश का चयन रहा हो या मैच रणनीति अथवा कल्पनाशीलता। माही मेरी किताब में कभी भी श्रेष्ठतम नहीं रहे हैं। कितनी नयी प्रतिभाओं का करियर उन्होंने विलंबित किया, कितनों को भगाया। क्या यह सब टीम या देश हित में वह करते रहे हैं ? 

हर कोई जीत पसंद करता है। क्रिकेट इसीलिए देश में लोकप्रिय है कि हम जीतते हैं। खेल आनंद के लिए हैं, रोने के लिए नहीं। जब टीम खेल के इतर कारणों से हारती है तब क्रिकेट प्रेमियों के दिलों को ठेस लगती है। फिर, जीत का श्रेय जब सेनापति को जाता है तब हार के लिए यह कहना कि सेनापति को बकरा बनाया जा रहा है, क्या गलत नहीं ?

नोट :मित्रों, हमारे एक खिलाड़ी मित्र हैं। नाम है सुनील चतुर्वेदी यूपी रणजी के भूतपूर्व कप्तान और अपने समय के ऐसे धाकड़ बल्लेबाजों में कि जिनके खेल से प्रभावित होकर गावस्कर ने उन्हें अपनी क्लब टीम निरलान में शामिल किया था। वह बीसीसीआई के मैच रेफरी हैं और मुंबई में रहते हैं। मेरे एक अनुज सहयोगी संजीव मिश्र नें व्हाट्सप पर एक ग्रुप बना रखा है, जिसमें खिलाड़ी और पत्रकार ही हैं। मेरी यह पोस्ट उनके इस कमेंट के उत्तर में थी जिसमें सुनील भाई ने धोनी के संदर्भ में यह कहा कि हमें किसी को भी हड़बड़ी में खारिज नहीं करना चाहिए। सोचा कि इसे फेसबुक पर भी डालना चाहिए। इसमें जिन संतोष सूरी का नाम आया है, वह देश के जाने माने क्रिकेट विश्लेषक और टाइम्स आफ इंडिया के विशेष संवाददाता हैं।

(देश मंथन, 15 अक्तूबर 2015)

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