राहुल गांधी बोले – मुझे जेल भिजवा दें मोदी

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राजीव रंजन झा : 

अपनी नागरिकता के बारे में सुब्रमण्यम स्वामी के आरोपों पर कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने पलटवार किया है और स्वामी के बदले सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती दी है। राहुल ने प्रधानमंत्री को चुनौती दी है कि अगर उन्होंने कुछ गलत किया है तो उन्हें जेल भेजा जाये।

गुरुवार 19 नवंबर को पूर्व प्रधानमंत्री और अपनी दादी इंदिरा गांधी की जयंती पर आयोजित एक समारोह में राहुल गांधी ने कहा, “मोदी जी हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री हैं। अलग-अलग आरोप मेरे ऊपर उठाये जाते हैं, इतना सा सच नहीं है। मोदी जी आपकी सरकार है। आपके पास एजेंसियाँ हैं। मेरे ऊपर जाँच करें, और छह महीने के अंदर आपको कुछ मिले तो मुझे बंद कर दो।” 

राहुल गांधी ने अपने ऊपर लग रहे आरोपों को सीधे प्रधानमंत्री से जोड़ते हुए कहा, “ये जो आप कचड़ा अपने चमचों से मेरे ऊपर फिंकवाते हो, मेरे परिवार के ऊपर सालों से फिंकवाते हो, अब आप विपक्ष में नहीं हैं, सरकार में हैं, अपनी 56 इंच की छाती निकालो, एजेंसियाँ लगाओ मेरे पीछे और मुझे बंद करो अगर मैंने कुछ गलत किया है। मोदी जी एक और बात सुन लो। आरएसएस एक और बात सुन लो। मुझमें इतना भी डर नहीं है आपसे। मैं पीछे नहीं हटूँगा। मैं हिंदुस्तान के लिए लड़ूँगा। गरीबों के लिए लड़ूँगा। किसानों के लिए लड़ूँगा। मजदूरों के लिए लड़ूँगा और आप जो झूठ बोलते हो हिंदुस्तान से, एक के बाद एक आपके झूठ पकड़ूँगा।”

गौरतलब है कि सुब्रमण्यम स्वामी ने यूके में पंजीकृत एक कंपनी बैकऑप्स लिमिटेड के दस्तावेजों को सार्वजनिक करते हुए यह आरोप लगाया था कि इन दस्तावेजों में राहुल गांधी ने स्वयं को ब्रिटेन का नागरिक बताया है। कांग्रेस ने इन आरोपों के जवाब में दस्तावेजों के सच होने को नहीं नकारा, लेकिन सफाई दी कि इनमें राहुल गांधी की नागरिकता वाले कॉलम में ब्रिटिश लिखा होना दरअसल टाइपिंग की भूल थी। 

स्वामी ने यह भी आरोप लगाया है कि राहुल गांधी ने साल 2006 में यूके में आयकर रिटर्न भी दाखिल किया था और उनका नाम वहाँ की मतदाता सूची में भी दर्ज रहा है। देश मंथन ने यूके के नागरिकों की मतदाता सूची प्रकाशित करने वाली कुछ वेबसाइटों को जब तलाशा तो बैकऑप्स लिमिटेड के दस्तावेजों में दर्ज दो पतों पर राहुल गांधी का नाम मतदाता सूची में मिला। हालाँकि देश मंथन इन वेबसाइटों पर उपलब्ध सूचनाओं की प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं करता। (देखें https://deshmanthan.in/hi/politics/is-rahul-gandhi-listed-in-uk-electoral-roll)

राहुल गांधी के पलटवार के बाद सुब्रमण्यम स्वामी ने 20 नवंबर को सुबह 6.09 बजे ट्वीट किया कि “बुद्धू के ब्रिटेन का नागरिक होने का प्रथमदृष्टया प्रमाण – उनके अपने ही सालाना रिटर्न। यह उनके ऊपर है कि इसे गलत साबित करें, लेकिन झाँसे और धमकियों से नहीं।”

अगले ट्वीट में स्वामी ने लिखा, “मैंने ब्रिटेन की सरकार को बुद्धू के अपने ही बयानों पर विश्वास किया है कि वे ब्रिटेन के नागरिक हैं। लेकिन उसका स्पष्टीकरण देने के बदले वे पागलों की तरह हल्ला मचा रहे हैं।” स्वामी ने 20 नवंबर को सुबह 8.37 बजे ट्वीट किया कि “कांग्रेसी मेरे और भाजपा के खिलाफ क्यों चीख रहे हैं? मैंने तो बस बुद्धू के शपथ वाले दस्तावेज पेश किये हैं। उन्हें तो पार्टी की प्रतिष्ठा धूमिल करने के लिए उस पर चीखना चाहिए।” 

इससे कुछ पहले के एक ट्वीट में स्वामी ने लिखा, “यह आश्चर्यजनक है कि बुद्धू मुझे उन दस्तावेजों को गलत साबित करने के लिए कह रहा है जो उसके ही कंपनी सचिव ने शपथ के साथ दाखिल किये हैं। और अज्ञानी मीडिया इसे रिसाइकल कर रहा है।” 

इन आरोपों के बारे में कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने देश मंथन से कहा, “यह सारा कुछ गलत और बकवास है। राहुल गांधी एक भारतीय हैं। वे जन्म से भारतीय हैं। उनके पास एक ही पासपोर्ट है, जो भारतीय पासपोर्ट है। बाकी सारी चीजों का हम पूरी तरह खंडन करते हैं।”

एक कांग्रेस नेता ने अनौपचारिक टिप्पणी में कहा कि यूके की मतदाता सूची में राहुल गांधी का नाम होने के पीछे कोई शरारत भी हो सकती है। अपने देश में एक बार राष्ट्रपति के नाम पर वारंट जारी करा दिया गया था। उन्होंने कहा कि अब भाजपा की सरकार है और उसके लिए ब्रिटेन की सरकार से यह जानकारी ले पाना कोई मुश्किल काम नहीं है कि यह सब कहाँ तक सही है। अगर जरा भी सच्चाई होती तो भाजपा आसानी से छोड़ देती क्या? अगर कोई ब्रिटेन का नागरिक है तो भारत में सांसद नहीं बन सकता। फिर तो भाजपा के लिए बहुत आसान है कि अगर ऐसा कुछ है तो सिर्फ एक फोन कॉल करो, वहाँ से प्रमाण-पत्र मँगाओ। संसद की सदस्यता ही खत्म हो जायेगी, राजनीति ही खत्म हो जायेगी। इसका मतलब है कि इन सबमें कुछ दम नहीं है। 

एक कांग्रेसी नेता ने टिप्पणी करने के बदले देश मंथन से ही पूछ लिया कि “अनऑफिशियली आपसे जानना चाहता हूँ कि सच्चाई है क्या?”

(देश मंथन, 20 नवंबर 2015)

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