आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
अभी लौटा हूँ एक पीटीएम यानी पेरेंट्स टीचर मीटिंग से।
जरा कल्पना कीजिये, शाहजादा सलीम की पीटीएम यानी पेरेंट्स टीचर्स मीटिंग चल रही है। क्राफ्ट मैडम शिकायत कर रही है- जरा भी इंटरेस्ट नहीं दिखाता। क्राफ्ट क्लास में नहीं आता। कला का जरा सा भी एलीमेंट नहीं इसमें।
उधर साइंस मैडम शिकायत कर रही है- बिलकुल भी इंटरेस्ट नहीं लेता, साइंस में।
सलीम टेंशन में काँप रहा होता।
मिसेज अकबर यानी जोधाबाई यानी सलीम की माँ यह सोच कर परेशान हो रही होतीं कि शाम को किटी पार्टी में वह क्या बतायेंगी। जब मिसेज मान सिंह यह बता रही होंगी कि उनके बच्चे तो क्राफ्ट और साइंस से लेकर स्पीच कंप्टीशन से लेकर फैन्सी ड्रेस शो तक सबमें फर्स्ट आते हैं तो वह क्या जवाब देंगी।
ऐसी टेंशनात्मक स्थिति में सलीम में दो चार चाँटे पड़ जाते। बादशाह सलामत चिंता में पड़ जाते और सलीम को और डाँट पड़ती। बेचारा अनारकली में इंटरेस्ट में डेवलप नहीं कर पाता।
साहब, अगर उस जमाने में पीटीएम होती, तो सलीम आर्ट और साइंस में तो चकाचक हो जाता, पर हमारा इतिहास सलीम-अनारकली की एक बहुतै धाँसू लव स्टोरी से वंचित रह जाता।
ये पीटीएम का मामला बहुत झेलू टाइप हो गया है। एक बच्चे ने बताया पीटीएम यानी परमानेंट टेंशन मीटिंग। दूसरा बच्चा बोला पीटीएम यानी परमानेंट टेंशन आफ मदर। मम्मियों को बहुत जवाब देने पड़ते हैं, शाम को किटी पार्टी में जाना होता है। दिन में मिसेज गुप्ता से कंप्टीशन करना होता है।
अभी एक पीटीएम से होकर आया, वहाँ एक मम्मी नौ साल के बच्चे को एक साथ आमिर खान, जुकरबर्ग और विराट कोहली बनाना चाहती थीं। बच्चा एक कार्टून चैनल के कैरेक्टर डोरीमोन जैसा बनना चाहता था।
एक और मम्मी अपने नौ बरस के बेटे को गणितज्ञ रामानुजम, डांसर प्रभुदेवा, संगीतकार एआर रहमान, लेखक प्रेमचंद एक साथ बनाने में तुली हुई थीं।
बच्चा खालिस छोटा भीम बनना चाहता था। उसने प्रेमचंद होने से इंकार कर दिया। वैसे भी, छोटे भीम के आगे प्रेमचंद कहाँ टिकते हैं।
मैंने मम्मीजी से कहा- आप तय कर लीजिये बच्चे को क्या बनाना है, एक साथ प्रेमचंद और प्रभुदेवा बनाने में डेंजर है। मामला मिक्सिग का, रिमिक्सिंग का हो जायेगा। बच्चा प्रेमचंद की कहानी नमक का दारोगा पर रिमिक्स बनाकर डांस करने लगेगा- कुछ इंगलिश टाइप का गाना बना देगा- डार्लिंग तेरा लव अपने साथ ही होगा, क्योंकि आई एम नमक का दरोगा।
ओह ग्रेट, फिर तो बहुत बढ़िया। इसका नया रिमिक्स नाम रख देंगे प्रेमदेवा। ऐसा हो जाये तो मजा आ जाये- मम्मीजी ने विचार व्यक्त किये।
पर देखिये एक बच्चे पर एक साथ इतना महान बनने का प्रेशर डालना ठीक नहीं है। प्रेमचंद प्रेमचंद इसलिए बन पाये कि उनकी मम्मी उन पर यह प्रेशर नहीं डालती थीं कि तुझे कुंदनलाल सहगल भी बनना है और डांसर उदयशंकर भी बनना है- मैंने मम्मीजी को समझाने की कोशिश की।
मम्मीजी ने मुझे बताया कि पड़ोस के गुप्ताजी के बेटे को देख लो डांस कंप्टीशन और मैथ कंप्टीशन दोनों में फर्स्ट आता है।
अब यह भी बड़ी आफत वाला काम है, हर पड़ोस में गुप्ताजी के बेटा टाइप बेटा निकल आता है, जो माहौल खराब कर देता है। अबे, तेरी दोनों जगह फर्स्ट आती है, तो हम क्या करें, फर्स्ट तू आता है, परेशानी हमें होती है-बच्चे तो इस बात को समझ जाते हैं, पर मम्मियाँ नहीं समझतीं।
मैं पेरेंट्स को अपनी तरह से समझाने की कोशिश करता हूँ कि बच्चा अगर नहीं पढ़ रहा है, तो आप टेंशन ना करें। अपना एक फंडा यह है कि बच्चा अगर बहुत पढ़ने-लिखने में इंटरेस्ट दिखाये, तो आपको टेंशन में आना चाहिए। टेंशन यह हो जाता है कि कॉलेज में एडमीशन मिलेगा कि नहीं, अभी दिल्ली के कई कॉलेज 100% को भी वेटिंग लिस्ट में रखते हैं।
सिर्फ 50% वाला बच्चा किसी भी कॉलेज में एडमीशन की चिंता से कतई मुक्त हो जाता है।
50% यानी एकदम टेंशन-फ्री।
टेंशन के इस दौर में कम से कम इस मामले में तो पेरेंट्स और बच्चे टेंशन-फ्री हो ही सकते हैं ना।
(देश मंथन, 16 जनवरी 2016)